मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश के बाढ़ से प्रभावित हुए जिलों में प्रभावित हुई अधोसंरचना को फिर से जैसे का तैसा बल्कि उससे बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। श्योपुर जो एक तिहाई क्षेत्र में प्रभावित हुआ, वहां विशेष फोकस कर कार्यों को पूरा किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री चौहान ने दो दिन का बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण कर भोपाल पहुॅचे केंद्रीय दल के सदस्यों के साथ बात करते हुए कहा, बाढ़ प्रभावितों को ज्यादा से ज्यादा मदद मिले इसके लिए विभिन्न योजनाओं के प्रावधानों में राहतकारी संशोधनों के प्रयास भी किए गए हैं। आवास योजनाओं में मध्यप्रदेश के कोटे के आवास गृह की संख्या बढ़ाने का भी प्रयास है। इसके लिए शीघ्र ही केन्द्रीय मंत्रियों से आग्रह कर यह कार्य सुनिश्चित किया जाएगा।
छह सदस्यीय केन्द्रीय दल में शामिल गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुनील कुमार वर्णवाल, वित्त मंत्रालय के उप आर्थिक सलाहकार अभय कुमार , कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के निदेषक ए.के. तिवारी, जल षक्ति मंत्रलालय के नर्मदा घाटी संगठन के अधीक्षण अभियंता मनोज तिवारी, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के डी.के. शर्मा, विकास मंत्रालय के आर.के. श्रीवास्तव शामिल थे।
केंद्रीय दल ने बताया कि दो समूह में दल के सदस्यों ने तीन-तीन जिलों में भ्रमण कर स्थितियों का जायजा लिया। प्रथम दल के तीन सदस्य ग्वालियर, दतिया और शिवपुरी और द्वितीय दल के तीन सदस्य श्योपुर और मुरैना क्षेत्र के भ्रमण के बाद क्षति का अवलोकन कर चुके हैं। इन क्षेत्रों में काफी क्षति हुई है। इस संबंध में शीघ्र ही वास्तविक क्षति का प्रतिवेदन तैयार कर लिया जाएगा। श्योपुर सबसे अधिक प्रभावित रहा, लेकिन यह सुखद तथ्य है कि यहां कोई ऐसा रोग देखने को नहीं मिला है, जो ज्यादा बाढ़ की स्थिति के पश्चात देखने को मिलता है।
मुख्यमंत्री चौहान ने दल को बताया, ग्वालियर और इंदौर नगर निगम से जेसीबी मशीन और अन्य उपकरण भेजकर युद्ध स्तर पर श्योपुर में आवश्यक कार्य सम्पन्न किए गए।
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री मनीष रस्तोगी ने बताया कि प्रभावित जिलों में फाइनल सर्वे प्रगति पर है।
मुख्यमंत्री चौहान ने केन्द्रीय दल को बताया, राज्य शासन ने अपने समस्त संसाधनों का उपयोग कर लोगों की जान बचाने का काम प्राथमिकता से किया। यह कर्मकाण्ड नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केन्द्रीय रक्षा, गृह और कृषि मंत्रियों से संवाद होता रहा। उनका सहयोग भी प्राप्त हुआ। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ सेना ने भी राहत कार्यों में पूरी मदद की। क्षति के आंकलन के लिए राजस्व, कृषि और पंचायत विभागों का संयुक्त दल कार्य कर रहा है। पारदर्शिता के साथ प्रभावितों की सूची तैयार की जाएगी। इसे पंचायत भवन में प्रदर्शित किया जाएगा। कोरोना काल में सक्रिय रहीं आपदा प्रबंधन समितियों को भी जिम्मेदारी दी गई है।
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Source : IANS