वित्त वर्ष बदलने को लेकर अभी केंद्र सरकार विचार कर रही है। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने इस संबंध में फैसला लेते हुए वित्त वर्ष को अप्रैल-मार्च के बजाय दिसंबर-जनवरी कर दिया है।
मार्च महीने में में संसदीय समिति ने भारत सरकार को प्रस्ताव दिया था कि वित्त वर्ष को अप्रैल-मार्च के बजाय दिसंबर-जनवरी कर दिया जाए। अप्रैल-मार्च को वित्त वर्ष बनाए जानी की दशकों पुरानी परंपरा को ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू किया गया था।
मध्य प्रदेश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में फैसला लिया है। शिवराज सिंह सरकार का ये फैसला उस समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ननीती आयोग की बैठक में वित्त वर्ष को जनवरी से दिसंबर करने पर जोर दे रहे हैं।
मध्यप्रदेश के पब्लिक रिलेशंस मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, 'शिवराज सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में वित्त वर्ष को जनवरी से दिसंबर करने का फैसला लिया गया है।'
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वर्तमान वित्त वर्ष के बारे में किये गए सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश होगी कि दिसंबर तक बजट की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली जाएं।
उन्होंने कहा, 'हम कोशिश करेंगे कि वर्तमान वित्त वर्ष को दिसंबर तक समाप्त कर लिया जाए। ताकि अगला बजट दिसंबर या जनवरी में पेश कर दिया जाए।'
अप्रैल-मार्च की वर्तमान परंपरा को भारत सरकार ने 1867 में अपनाया था, ताकि ब्रिटिश सरकार के वित्त वर्ष से ये मेल खाए। 1867 के पहले वित्त वर्ष 1 मई से शुरू होता था और 30 अप्रैल को खत्म हो जाता था।
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संसदीय समिति के प्रस्ताव में कहा गया है, 'समिति उम्मीद करती है कि अगले साल पूरी तैयारी करेगी। परेशानियों को ध्यान में रखते हुए समिति सुझाव देती है कि वित्त वर्ष को कैलेंडर साल के साथ जोडा़ जाए और उसी हिसाब से बजट पेश करने के मौजूदा समय को और आगे बढाया जाए।'
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Source : News Nation Bureau