टिकट बंटवारे के जरिए मुलायम की विरासत को साधने की जुगत में शिवपाल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ हफ्ते पहले समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव भिड़ते नजर आ रहे हैं। पिछली बार की तरह ही इस बार भी मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश की बजाए छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के पक्ष में खड़े हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ हफ्ते पहले समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव भिड़ते नजर आ रहे हैं। पिछली बार की तरह ही इस बार भी मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश की बजाए छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के पक्ष में खड़े हैं।

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Abhishek Parashar
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टिकट बंटवारे के जरिए मुलायम की विरासत को साधने की जुगत में शिवपाल

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के साथ (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ हफ्ते पहले समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव भिड़ते नजर आ रहे हैं। पिछली बार की तरह ही इस बार भी मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश की बजाए छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के पक्ष में खड़े हैं। 

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समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यों को एजेंडा बनाकर चुनाव में उतरी है। मुलायम सिंह की नानुकर के बावजूद शिवपाल अखिलेश को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बताते रहे हैं।

हालांकि टिकटों के बंटवारे में जिस तरह से अखिलेश यादव की पसंद के उम्मीदवारों के नाम पर कैंची चलाई गई है, वह पर्दे के पीछे पार्टी पर नियंत्रण को लेकर चल रही दूसरी कहानी बयां करती हैं।

शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच पार्टी की उत्तराधिकार की लड़ाई होनी है। अभी तक यह लड़ाई छिटपुट तरीके से होती रही है। लेकिन मुलायम सिंह यादव के बीच-बचाव के कारण इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया।

शिवपाल फिलहाल पार्टी की कमान संभाले हुए हैं वहीं सरकार की जिम्मेदारी अखिलेश की है। अभी तक की झड़प में शिवपाल और अखिलेश की स्थिति बराबर की रही है। लेकिन अब टिकट बंटवारे में अखिलेश के समर्थकों को दरकिनार कर शिवपाल दरअसल पार्टी की कमान को लेकर भविष्य में होने वाली निर्णायक लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं।

मौजूदा हालात में विधायकों का संख्या बल अखिलेश यादव के पक्ष में जाता है और शिवपाल टिकट बंटवारे के जरिये इस शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं। मुलायम सिंह यादव की सरपरस्ती में शिवपाल काफी हद तक इसमें कामयाब भी रहे हैं।

वहीं अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव की तरफ से जारी उम्मीदवारों की सूची को खारिज करते हुए सभी विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर बड़ी लड़ाई की मंशा जाहिर कर चुके है।

अखिलेश ने कांग्रेस से गठबंधन की मंशा जाहिर की थी, जिसे मुलायम सिंह यादव सिरे से खारिज कर चुके हैं। अखिलेश उन उम्मीदवारों के भरोसे चुनाव में नहीं जा सकते हैं, जिन पर उनका भरोसा नहीं है।

वहीं शिवपाल चुनाव बाद बनने वाली स्थिति को अपने मुताबिक करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। नाराज अखिलेश ने लखनऊ में उन सभी विधायकों की बैठक बुलाई है जिन्हें टिकट नहीं दिया गया है।
अखिलेश यादव मुलायम सिंह यादव से टिकटों की सूची पर विचार करने को कह चुके हैं।

माना जा रहा है कि अखिलेश यादव अपने करीबियों के पक्ष में रैली कर पार्टी को संदेश देने की कोशिश करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि अखिलेश के कुछ चहेतों को पार्टी टिकट दे सकती है लेकिन अगर सब कुछ अखिलेश के मुताबिक नहीं हुआ तो वह अपने चहेते उम्मीदवारों को निर्दलीय चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे सकते हैं।

HIGHLIGHTS

  • विधानसभा चुनाव से ठीक पहले टिकटों के बंटवारे को लेकर सपा में शिवपाल और अखिलेश आमने-सामने हैं
  • पार्टी की तरफ से जारी 325 उम्मीदवारों की सूची में अखिलेश के 100 से अधिक पसंदीदा उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया गया है
  • टिकट बंटवारे से नाराज अखिलेश यादव ने सभी विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है

Source : Abhishek Parashar

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