द्रौपदी मुर्मू के बहाने शिवसेना ने NDA की तरफ बढ़ाया दोस्ती का हाथ
महाविकास अघाड़ी सरकार का हिस्सा रही शिवसेना ने एनडीए की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करने का ऐलान किया है. हालांकि, इस ऐलान के साथ ही शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि मुर्मू का समर्थन भाजपा का समर्थन नहीं है.
मुंबई:
महाविकास अघाड़ी (Mahavikas Aghadi) सरकार का हिस्सा रही शिवसेना (Shiv Sena) ने एनडीए (NDA) की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करने का ऐलान किया है. हालांकि, इस ऐलान के साथ ही शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि मुर्मू का समर्थन भाजपा का समर्थन नहीं है. इसके बावजूद जानकार शिवसेना के इस कदम को एनडीए से नजदीकी के तौर पर देख रहे हैं. दरअसल, शिवसेना से एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के सामने पार्टी को बचाए रखने की चुनौती है. ऐसे में भाजपा से नजदीकी बढ़ाकर हिंदुत्व छोड़ने से नाराज हुए शिवसेना नेताओं को भी साधा जा सकेगा. यही वजह है कि महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के बीच शहरों के नाम बदलने को लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. इस बीच एनडीए की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का ऐलान कर शिवसेना ने महाविकास अघाड़ी से दामन छुड़ाकर भाजपा से नजदीकी बड़ा रही है.
भाजपा ने की सराहना
दरअसल, शिवसेना के सांसदों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से अनुरोध किया था कि द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला है, लिहाजा हमें सपोर्ट करना चाहिए. राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में शिवसेना के सांसदों का भरी मीटिंग में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से अनुरोध करना यह सब दिखाता है कि शिवसेना के सांसद बीजेपी के साथ जाने में ज्यादा महफूज महसूस कर रहे हैं. शिवसेना के सांसद विनायक राउत ने कहा कि हम सब ने मांग रखी कि द्रौपदी मुर्मू का हमें समर्थन करना चाहिए. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी नेता पंकजा मुंडे ने शिवसेना के इस रुख का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि द्रौपदी मुर्मू एक सुशिक्षित और आदिवासी महिला हैं और शिवसेना अगर उनको समर्थन देती है तो यह बहुत अच्छी बात होगी.
कांग्रेस ने कसा तंज
द्रौपदी मुर्मू के बहाने शिवसेना के भीतर पूर्व मुख्यमंत्री के ऊपर बढ़ रहे दबाव पर कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने ट्वीट कर तंज कसा है. और कहा कि पहले शिवसेना प्रमुख आदेश देते थे और सांसद मानते थे. अब सांसदों ने दबाव बना दिया है शिवसेना प्रमुख के ऊपर और यह नए तरीके का बदलाव है. यानी साफ है कि जिस तरीके से शिवसेना के विधायक टूटे हैं. अब पार्टी प्रमुख को लगता है कि अगर सांसदों के मन की बात नहीं सुनी तो पार्टी को संसद में भी बगावत का सामना करना पड़ेगा. यही वजह है कि उद्धव ठाकरे सांसदों के आगे झुक गए हैं.
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