शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने दिल्ली के जंतर मंतर पर न्याय के लिए प्रदर्शन कर रही महिला ओलंपियन पहलवानों पर सरकार की कार्रवाई की निंदा की है।
एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि मानवाधिकारों के लिए आवाज उठाने वालों के खिलाफ सरकार की कठोर कार्रवाई लोकतंत्र पर एक धब्बा है।
उन्होंने कहा कि एक ओर नवनिर्मित संसद का उद्घाटन हो रहा है और दूसरी ओर देश का नाम रोशन करने वाली महिला पहलवानों पर अत्याचार हो रहे हैं, जिससे पूरा देश शर्मसार हुआ है।
ग्रेवाल ने कहा कि एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के निर्देश के अनुसार, एसजीपीसी के एक प्रतिनिधिमंडल को जंतर-मंतर पर पहलवानों के समर्थन में न्याय के लिए विरोध प्रदर्शन में शामिल होना था, लेकिन रविवार को सरकार द्वारा धरना हटाने की जबरन कार्रवाई के कारण यह कार्यक्रम फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि एसजीपीसी इन महिला पहलवानों के साथ मजबूती से खड़ी है और जो भी कार्यक्रम बनेगा उसमें पूरा सहयोग देगी।
ग्रेवाल ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि जब भी सिख समुदाय अपने इतिहास और परंपराओं को निभाते हुए मानवाधिकारों के लिए लड़ने वालों के साथ खड़ा होता है तो कुछ लोगों द्वारा एक नकारात्मक नैरेटिव गढ़ा जाता है। सिखों ने हमेशा देश की रक्षा के लिए बलिदान दिया है और सिखों को किसी से देशभक्ति सीखने की जरूरत नहीं है।
उधर, एसजीपीसी की कार्यकारी सदस्य गुरिंदर कौर भोलूवाल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि खेलों में पदक जीतकर देश का नाम रोशन करने वाली लड़कियों को परेशान किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार इन लड़कियों की बात सुनने के बजाय उन्हें सड़कों पर घसीट रही है। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी किसी भी अन्याय के खिलाफ इन लड़कियों के साथ हमेशा मजबूती से खड़ी रहेगी।
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Source : IANS