अयोध्या भूमि विवाद को लेकर केंद्रीय शिया वक्फ बोर्ड ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वास्तव में विवादित भूमि में मुसलमानों के शेयर का असल दावेदार वही हैं क्योंकि बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी, जो एक शिया थे।
शिया वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में कहा कि वह इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा मुसलमानों को दी गई एक तिहाई भूमि दान करना चाहते हैं जिससे कि वहां राम मंदिर बनाया जा सके।
अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब 20 जुलाई को होगी।
शिया बोर्ड ने कहा, 'देश में एकता, शांति और सद्भावना के लिए वो विवादित जमीन के मुस्लिम वाले हिस्से को राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को देने के लिए तैयार है।'
शिया बोर्ड ने कहा, 'बाबरी मस्जिद का संरक्षक शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड है। कोई अन्य भारत में मुस्लिमों का प्रतिनिधि नहीं है।'
वही दूसरी ओर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड और मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने दलील दी कि बर्मा में गौतम बुद्ध की मूर्ति को मुस्लिम तालिबान ने ख़त्म किया, वही बाबरी मस्ज़िद को 'हिन्दू तालिबान' ने खत्म किया।
राजीव धवन ने कहा, 'इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड के बोलने का कोई मतलब नहीं है। जिस तरह तालिबान ने बामियान को ढहाया था, उसी तरह हिंदू तालिबान ने बाबरी मस्जिद को ढहाया था।'
बता दें कि राम मंदिर भूमि विवाद पर जारी सुनवाई में अब तक सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षों की दलीलें सुनी गई। मुस्लिम पक्ष से पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर की विशेष पीठ ने 17 मई को हिंदू संगठनों की तरफ से पेश दलीलें सुनी थीं।
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Source : News Nation Bureau