शिया वक्फ बोर्ड अध्यक्ष का बड़ा बयान, इस हिंदू देवता को बताया मुस्लिमों का पूर्वज
सुप्रीम कोर्ट से राममंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद अब मुस्लिम नेता भी राम मंदिर निर्माण के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं.
लखनऊ:
सुप्रीम कोर्ट से राममंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद अब मुस्लिम नेता भी राम मंदिर निर्माण के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं. शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने भगवान राम को इमामे हिन्द और मुसलमानों का पूर्वज बताया है. उन्होंने भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए 51 हज़ार का चेक भी दिया. उन्होंने कहा कि वह आगे भी मन्दिर के निर्माण में आर्थिक योगदान देंगे.
शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी हमेशा से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में रहे हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद वसीम रिजवी ने कहा था कि शिया वक्फ बोर्ड अपने मकसद में कामयाब हो गया. अयोध्या में जन्मभूमि पर ही राम मंदिर बने, यही हमारा मकसद था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तय हो गया है कि जन्मभूमि पर ही भव्य राम मंदिर बनेगा.
यह भी पढ़ेंः Ayodhya Verdict : अयोध्या फैसला देखने के लिए काश यह कारीगर जिंदा होता!
अयोध्या में करेंगे रामलला का दर्शन
वसीम रिजवी का आज (गुरुवार) को अयोध्या जाने का कार्यक्रम है. अयोध्या में वसीम रिजवी साधु-संतों से मुलाकात से पहले रामलला का दर्शन करेंगे. इसके बाद वह महंत धर्मदास से मुलाकात करेंगे. इसके बाद वसीम रिजवी दिगंबर अखाड़ा में महंत सुरेश दास से मुलाकात करेंगे. वसीम रिजवी का रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल और नारायण मिश्र से भी मुलाकात का कार्यक्रम है. आज ही उनकी मुलाकात वेदांती और परमहंस दास से भी होने वाली है.
यह भी पढ़ेंः Ayodhya Verdict : जिस बाबर ने मंदिर गिरा बनाई बाबरी मस्जिद, उसी का वंशज राम मंदिर निर्माण को देगा सोने की ईंट
सरकार ने बढ़ाई रिजवी की सुरक्षा
सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या पर फैसला आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कई लोगों की सुरक्षा में इजाफा किया है. इन लोगों में वसीम रिजवी भी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी और सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी की सुरक्षा को बढ़ाकर वाई प्लस श्रेणी कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने माना था हिंदू अंग्रेजों के जमाने से पहले करते आ रहे थे पूजा
अपने फैसले में सर्वोच्च अदालत ने यह भी माना कि इस बात के सबूत मिले हैं कि हिंदू बाहर पूजा-अर्चना करते थे, तो मुस्लिम भी अंदर नमाज अदा करते थे. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया कि 1857 से पहले ही पूजा होती थी. हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह भी माना कि 1949 को मूर्ति रखना और ढांचे को गिराया जाना कानूनन सही नहीं था. संभवतः इसीलिए सर्वोच्च अदालत ने मुसलमानों के लिए वैकल्पिक जमीन दिए जाने की व्यवस्था भी की है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी