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कांग्रेस सांसद शशि थरूर( Photo Credit : ANI)
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केंद्र सरकार पर लोकसभा में जमकर निशाना साधा. उन्होंने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के लिए दिखावटी सेवाओं का भुगतान किया गया था. लेकिन स्टैंड अप इंडिया का कहीं जिक्र नहीं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि वैसी भी आप स्टैंड-अप कॉमेडियन पर प्रतिबंध लगाने में बहुत व्यस्त हैं.
Shashi Tharoor, Congress in Lok Sabha: Lip service was paid to Skill India, Digital India & Startup India but no mention of Standup India as you are so busy banning stand-up comedians. Government schemes should really be named as sit-down India, shutdown India & shut-up India. pic.twitter.com/wa21ZVAc0n
— ANI (@ANI) February 4, 2020
उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकारी योजनाओं का नाम बदल देना चाहिए. उसका नाम अब सिट-डाउन इंडिया, शटडाउन इंडिया और शट-अप इंडिया के रूप में नामित किया जाना चाहिए. संसद का बजट सत्र चल रहा है, जिसमें शशि थरूर ने केंद्र सरकार के नीतियों में कमी को बता रहे थे. वहीं इससे पहले शशि थरूर ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की पूरी तरह से जीत हो रही है. उन्होंने कहा कि सीएए की वजह से देश की अवधारणा को लेकर जिन्ना के विचार भारत में पहले ही जीत रहे हैं, लेकिन अब भी विकल्प उपलब्ध है. थरूर ने रविवार को जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) से इतर कहा कि मैं यह नहीं कहूंगा कि जिन्ना जीत चुके हैं, बल्कि यह कहूंगा कि जिन्ना जीत रहे हैं. अब भी देश के पास जिन्ना और गांधी के देश के विचार में से किसी एक को चुनने का विकल्प है.’
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देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच सीएए दिसंबर में लागू हो गया. तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने कहा कि सीएए में किसी भी धर्म को राष्ट्रीयता का आधार बनाने का जिन्ना का तर्क अपनाया गया है, वहीं गांधी का विचार यह था कि सभी धर्म बराबर हैं. उन्होंने कहा, ‘सीएए पर आप कह सकते हैं कि एक कदम जिन्ना की ओर ले जाएगा. लेकिन अगला कदम अगर एनपीआर और एनआरसी होगा तो आप यह मान लें कि पूरी तरह जिन्ना की जीत हो गई.’ थरूर ने कहा, ‘ पहले कभी यह नहीं पूछा गया कि आपके माता-पिता का जन्म कहां हुआ था। आंकड़े जमा करने वाले कर्मचारियों को कभी ‘संदिग्ध नागरिकता’ वाले सवाल करने की अनुमति नहीं थी. ‘संदिग्ध नागरिकता’ शब्दावली का इस्तेमाल एनपीआर में है और यह पूरी तरह से भाजपा की खोज है.’