अब हिंद महासागर की ओर से आएंगे शाहीन, गुलाब और अग्नि तूफान

उत्तरी हिंद महासागर और अरब सागर में भविष्य में उठने वाले तूफान शाहीन, गुलाब, तेज, अग्नि और आग जैसे नामों से जाने जाएंगे क्योंकि 13 देशों द्वारा भविष्य के लिए सुझाए गए 169 नामों में ये शामिल हैं.

author-image
Sunil Mishra
New Update
Cyclone

अब हिंद महासागर की ओर से आएंगे शाहीन, गुलाब और अग्नि तूफान( Photo Credit : File Photo)

उत्तरी हिंद महासागर और अरब सागर में भविष्य में उठने वाले तूफान शाहीन, गुलाब, तेज, अग्नि और आग जैसे नामों से जाने जाएंगे क्योंकि 13 देशों द्वारा भविष्य के लिए सुझाए गए 169 नामों में ये शामिल हैं. भारतीय मौसम विभाग ने मंगलवार को यह जानकारी दी थी. इससे पहले तूफानों का नामकरण 2004 में आठ देशों ने मिलकर कर किया था लेकिन उस समय निर्धारित नाम उत्तरी हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में कोई तूफान आने पर खत्म हो जाएंगे.

Advertisment

यह भी पढ़ें : Good News: सात दिनों में देश के 80 जिलों में कोरोना वायरस का कोई नया मामला नहीं

इन क्षेत्रों में उठने वाले अगले तूफान का नाम ‘‘अम्फान’’ होगा जिसे थाईलैंड ने प्रस्तावित किया था और जो 2004 में तैयार भविष्य के तूफानों के नामों की सूची में आखिरी नाम है. मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि इसके मद्देनजर 2018 में भविष्य में तूफानों का नाम रखने के लिए एक समिति गठित की गई थी. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमा, ओमान, पाकिस्तान, कतर, साऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन ने 13-13 नाम सुझाए हैं.

महापात्रा ने बताया कि इन नामों में से जिन 13 नामों को चुना गया है वे हैं, बांग्लादेश द्वारा प्रस्तावित अर्नब, कतर द्वारा प्रस्तावित शाहीन, पाकिस्तान द्वारा प्रस्तावित लुलु, म्यांमा द्वारा प्रस्तावित पिंकू, कतर द्वारा प्रस्तावित बहार, भारत द्वारा प्रस्तावित गति, तेज और मुरासु (तमिल वाद्य यंत्र), आग, नीर, प्रभंजन, घृणी, अम्बुध, जलधि और वेग.

यह भी पढ़ें : 'मुसलमानों से सब्जी मत खरीदो' बयान देने वाले भाजपा विधायकों पर नाराज हुए जेपी नड्डा

ऐसे तय होता है तूफान का नाम

विश्‍व मौसम विज्ञान संगठन ने सबसे पहले चक्रवाती तूफानों के नाम रखने की शुरुआत की थी. भारत में यह प्रथा साल 2004 से शुरू हुई. भारत के साथ-साथ श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाइलैंड ने भी तूफानों का नाम देने का फॉर्मूला तैयार किया. इन 8 देशों की ओर से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है और उसी क्रम के अनुसार इन चक्रवाती तूफानों के नाम रखे जाते हैं.

इन सभी आठ देशों ने वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (World Meteorological Organization) को तूफानों के नाम की लिस्ट दी हुई है. इसमें भारत ने 'अग्नि', 'बिजली', 'मेघ', 'सागर' और 'आकाश' जैसे नाम दिए. वहीं, पाकिस्तान ने 'निलोफर', 'बुलबुल' और 'तितली' जैसे नाम दिए. इन्हीं नामों में से वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन तूफान का नाम रखती है.

यह भी पढ़ें : भारत में 3 मई से लॉकडाउन खोलने को लेकर बायोकॉन की CMD किरण मजूमदार शॉ ने कही ये बड़ी बात

अगर इन आठ देशों में चक्रवाती तूफान आता है तो भेजे गए नामों में बारी-बारी एक नाम चुना जाता है. भारत में 10 साल तक किसी एक तूफान के नाम का दोबारा इस्‍तेमाल नहीं किया जाता. साथ ही ज्‍यादा तबाही मचाने वाले चक्रवातों के नाम को निरस्‍त कर दिए जाते हैं. इस बार बांग्लादेश के सुझाव पर तूफान का नाम 'फानी' रखा गया है.

अगर बात यूरोपीय देशों की हो तो अमेरिका हर साल तूफानों के 21 नामों की सूची तैयार करता है. क्योंकि अंग्रेजी के Q,U,X,Y और Z अल्‍फाबेट से तूफान का नाम रखने की परंपरा नहीं है. इसलिए अगर एक साल में 21 से ज्‍यादा तूफान आ जाएं तो फिर उनका नाम ग्रीक अल्‍फाबेट अल्‍फा, बीटा, गामा के नाम से रख दिया जाता है. ये नाम ऑड-ईवन फॉर्मूले पर रखे जाते हैं. ऑड नंबर वाले वर्ष में चक्रवाती तूफानों के नाम औरतों के नाम पर रखे जाते हैं, जबकि ईवन सालों में आए तूफान के नाम पुरुषों के नाम पर आधारित होते हैं.

Source : Bhasha

gulab Indian Ocean Cyclone Shaheen Agni
      
Advertisment