Khoj Khabar: दीपक चौरसिया और मेहमानों के साथ टीवी डिबेट, रास्ता छोड़ो कि जनता आती है
इस बार सुप्रीम कोर्ट के वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारी महिलाओं से से अकेले में बात की जबकि पुरुष प्रदर्शनकारियों को इस दौरान बाहर रखा गया था.
नई दिल्ली:
शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन पर बैठे प्रदर्शनकारी कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं हैं. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के वार्ताकारों ने लगातार तीसरे दिन भी प्रदर्शनकारियों से बातचीत की कोशिश की लेकिन वो खाली हाथ लौटे. इस बार सुप्रीम कोर्ट के वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारी महिलाओं से से अकेले में बात की जबकि पुरुष प्रदर्शनकारियों को इस दौरान बाहर रखा गया लेकिन परिणाम एकबार फिर वही, ढाक के तीन पात. आखिर कब तक शाहीन बाग बंधक बना रहेगा. इसी मुद्दे पर हम वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया के साथ खोज खबर प्रोग्राम में डिबेट किया. इस डिबेट में वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार, अरुण कुमार पांडेय , मुदस्सर हयात, इरफा जान इस्लामिक स्कॉलर सहित जसोला और सरिता विहार के कई स्थानीय निवासी शामिल हैं जो कि हर रोज इन दिक्कतों का सामना कर रहे हैं.
इस डिबेट में स्थानीय लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि इन प्रदर्शनकारियों की वजह से सड़क पर जाम लगाया गया है जिसकी वजह से हम लोगों को रोज अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं हमारा यह रोज का अतिरिक्त खर्च कौन वहन करेगा. इसके अलावा इस्लामिक स्कॉलर इरफा जान ने बताया कि यहां पर लोगों के जाने के लिए चार और रास्ते हैं लेकिन स्थानीय लोगों ने कहा कि उन सड़कों पर भी पुलिस ने बैन लगाया हुआ है. देखें पूरी डिबेट इस वीडियो में
वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने बताया कि सीएए का देश के लोगों से कोई मतलब ही नहीं है ये प्रदर्शनकारी यहां जाम लगाकर लगातार यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि भारत में मुसलमानों को बहुत प्रताड़ित किया जा रहा है लेकिन अगर इनका वो वीडियो जारी हुआ है सोशल मीडिया पर जिसमें तीस्ता सीतलवाड़ लोगों को पढ़ा रहीं थीं कि वार्ताकारों से कैसे बात करनी है और क्या-क्या सवाल उठाने हैं. वहीं अरुण पांडेय ने इसके जवाब में कहा कि जब आपको देश के प्रधानमंत्री, देश के गृहमंत्री और देश की सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था सुप्रीम कोर्ट पर भी भरोसा नहीं है तो फिर आप कैसे कहेंगे कि आप संविधान की रक्षा के लिए यहां बैठे हैं. पूरी डिबेट देखिए इस वीडियो में.
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वहीं जब इस्लामिक स्कॉलर इरफा जान से इस पर पूछा गया कि तीस्ता सीतलवाड़ क्यों आईं थीं यहां पर इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह आंदोलन महिलाओं का है यहां पर तीस्ता सीतलवाड़ भी आ सकती हैं और स्मृति ईरानी भी आ सकती हैं. इस पर दीपक चौरसिया ने तीस्ता सीतलवाड़ पर हुए गबन के मुद्दे को उठाने की बात की तो इरफा जान ने कहा कि कौन क्या है अगर हम उसके पर्सनल लाइफ में झांक कर देंखेंगे तो पूरी सरकार में बहुत से लोग अपना चेहरा छुपाते भागते फिरेंगे. वहीं इसके जवाब में वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने कहा कि अगर आप को देश के संविधान और सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है तो आप इस तरह से लोगों के लिए मुसीबते खड़ी करेंगे.
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