khojkhabar: कब तक बंधक रहेगा शाहीन बाग? दीपक चौरसिया के साथ देखें खोज खबर

न्यूज नेशन पर रात नौ बजे समय होता 'खोज खबर' का, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने सीएए पर ओवैसी के भड़काऊ भाईजान, कब तक बंधक शाहीन बाग, दूसरे राउंड की बात भी बेनतीजा, ब्लैकमेलिंग की कोशिश में शाहीन बाग मुद्दे पर चैनल पर आए मेहमानों के साथ चर्चा की.

न्यूज नेशन पर रात नौ बजे समय होता 'खोज खबर' का, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने सीएए पर ओवैसी के भड़काऊ भाईजान, कब तक बंधक शाहीन बाग, दूसरे राउंड की बात भी बेनतीजा, ब्लैकमेलिंग की कोशिश में शाहीन बाग मुद्दे पर चैनल पर आए मेहमानों के साथ चर्चा की.

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Deepak Pandey
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khojkhabar: कब तक बंधक रहेगा शाहीन बाग? दीपक चौरसिया के साथ देखें खोज खबर

खोज खबर( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

न्यूज नेशन पर रात नौ बजे समय होता 'खोज खबर' का, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने सीएए पर ओवैसी के भड़काऊ भाईजान, कब तक बंधक शाहीन बाग, दूसरे राउंड की बात भी बेनतीजा, ब्लैकमेलिंग की कोशिश में शाहीन बाग मुद्दे पर चैनल पर आए मेहमानों के साथ चर्चा की. इस बहस में यूथ फॉर इक्वलिटी से डॉ. कौशल कांत मिश्रा, वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल, इस्लामिक स्कॉलर सुबुही खान, धर्म गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम, राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनवाला, शाहीन बाग एक्टिविस्ट मीरन हैदर और शाहीन बाग एक्टिविस्ट तान्या कुरैशी ने हिस्सा लिया.

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तहसीन पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में देशद्रोही विरोधी नारे लगाने वालों को जेल में डाला जाता था, लेकिन बीजेपी सरकार में ऐसा नहीं हो रहा है. वहीं, आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि जिस संविधान ने कानून बनाने का अधिकार दिया, वहीं संविधान ने विरोध करने का भी अधिकार दिया है. देश बहुत खतरनाक मोड़ पर आ चुका है. आप बताइये कि देश का गद्दार कौन है मैं खुद उसे गोली मारूंगा. क्या शाहीन बाग में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी गद्दार हैं. उन्होंने आगे कहा कि पहले ये तो पता चले कि देश का गद्दार कौन है. देश के गद्दार वे हैं जो हिन्दू-मुस्लिम को बांट रहे हैं

डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने कहा कि अगर आपको पुलिस से डर है तो आप प्रदर्शन में क्यों गए थे. जिस दिन पुलिस मर्डर करने जाएगी, तब पता ही नहीं पाएगा. वहीं, सुबुही खान ने कहा कि देश के गद्दार वे होते हैं जो देश के टुकड़े-टुकड़े के नारे लगाते हैं. देश के गद्दारों को बिल्कुल सम्मान नहीं मिलना चाहिए. वहीं, मीरन हैदर का कहना है कि जब छात्र लाइब्रेरी में पढ़ रहे थे तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले क्यों दागे.

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