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कोरोना महामारी के बाद भारतीय लोगों के लिए परिवार का प्रबंधन करना मुश्किल हुआ

कोरोना महामारी के बाद भारतीय लोगों के लिए परिवार का प्रबंधन करना मुश्किल हुआ

Updated on: 31 Jan 2022, 08:00 PM

नई दिल्ली:

कोरोना महामारी और अप्रत्याशित मंहगाई के कारण, भारतीय परिवारों के लिए अपने रोजमर्रा के खचरें एवं अन्य मदों का प्रबंधन करना बेहद मुश्किल हो रहा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट पेश करने से पहले आईएएनएस-सीवोटर द्वारा किए गए एक राष्ट्रव्यापी ट्रैकर पोल से यह खुलासा हुआ। वर्ष 2022 के सर्वेक्षण के अनुसार, 65.7 प्रतिशत लोगों ने कहा, मौजूदा खचरें का प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है।

वर्तमान सरकार के लिए कुछ राहत की बात यह है कि 2014 में संप्र्रग सरकार के अंतिम वर्ष में, 66.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा था कि उन्हें उस समय अपने खचरें का प्रबंधन करना मुश्किल लगता है। हालांकि उस समय देश भले ही कोविड जैसे संकट से नहीं गुजर रहा था फिर भी यह उत्तरदाताओं के इस दावे की पुष्टि करता है कि वे इस बात को बखूबी समझते हैं कि राजग अभी भी संप्रग से बेहतर अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कर रहा है।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना संकट का बहाना बनाकर सरकार देश की आर्थिक समस्याओं से मुंह मोड ले और पिछली संप्रग सरकार के कामकाज से अपनी तुलना कर अपनी पीठ थपथपाती रहे।

वर्ष 2020 में, 70.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने खचरें का प्रबंधन करना मुश्किल पाया। लेकिन इसके बाद लॉकडाउन हटा लिया गया और पहली लहर का असर कम हो गया था। इसके परिणामस्वरूप 58.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने खचरें के प्रबंधन के बारे में चिंता जाहिर की। लेकिन फिर दूसरी और उससे भी ज्यादा विनाशकारी कोरोना लहर आई जिससे परिवारों के कमाने वाले मुखिया के चले जाने से एक बार फिर परिवारों की चिंता बढ़ गई।

इस संकट की पुष्टि तब हुई जब 57.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी आय कम हो गई जबकि खर्च बढ़ गया था। इसे देखते हुए लगता है कि बजट में नागरिकों की इन चिंताओं तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.