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लोकसभा चुनाव

एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद डीपी त्रिपाठी का लंबी बीमारी के बाद हुआ निधन

बताया जा रहा है कि 67 साल के पूर्व सांसद डीपी त्रिपाठी लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

Updated on: 02 Jan 2020, 11:41 AM

highlights

  • राकांपा (Nationalist Congress Party-NCP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद डीपी त्रिपाठी (देवी प्रसाद त्रिपाठी-DP Tripathi) का हुआ निधन. 
  • डीपी त्रिपाठी जी लंबे समय तक वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे.
  • उनका जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था. वह जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रहे थे. 

नई दिल्ली:

राकांपा (Nationalist Congress Party-NCP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद डीपी त्रिपाठी (देवी प्रसाद त्रिपाठी-DP Tripathi) का 67 साल की उम्र में गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. लंबे समय तक वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था. वह जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रहे थे. कांग्रेस से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले डीपी त्रिपाठी ने सोनिया गांधी के विरोध में एनसीपी ज्वॉइन कर लिया था. 1968 में राजनीति में आए डीपी त्रिपाठी को संसद के अच्छे वक्ताओं में शुमार किया जाता था. आपातकाल में आंदोलन के चलते वह जेल भी रहे थे.

एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने डीपी त्रिपाठी के निधन पर शोक जताते हुए कहा, 'डीपी त्रिपाठी जी के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुःख हुआ. वे NCP के महासचिव थे. हम सभी के मार्गदर्शक और संरक्षक थे. हम उनके परामर्श और मार्गदर्शन को याद करेंगे, जो उन्होंने उस दिन से दिया था, जिस दिन NCP की स्थापना हुई थी. उनकी आत्मा को शांति मिले.'

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बता दें कि फिलहाल डीपी त्रिपाठी एनसीपी को महासचिव की जिम्मेदारी संभालते आए थे. पिछले साल ही राज्यसभा से उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था. अपने विदाई भाषण में उन्होंने कई प्रमुख मुद्दों को बड़ी ही प्रमुखता के साथ उठाया था. उन्होंने सेक्स के मुद्दे को संसद में उठाया था लेकिन इस पर संसद में चर्चा नहीं हुई, जबकि गांधी जी और लोहिया ने भी इस पर बात की थी. उन्होंने कहा था कि सेक्स से जुड़ी बीमारियों के चलते मौतें होती हैं, लेकिन कभी इस पर बात नहीं हुई.

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संसद में अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि जिस देश में कामसूत्र जैसी पुस्तक लिखी गई थी, वहां की संसद में सेक्स जैसे विषय पर कभी बात नहीं की गई .इस पुस्तक को लिखने वाले वात्स्यायन को ऋषि का दर्जा प्राप्त था. अजंता-अलोरा की गुफाएं और खजुराहो के स्मारक इसी पर समर्पित हैं, लेकिन कभी संसद तक में यह मसला नहीं उठा.