देश के संविधान की मूल प्रति में देखें भगवान श्रीराम की तस्वीर

संविधान की प्रस्तावना में ना केवल सेकुलर शब्द था बल्कि 1949 में संविधान में तब सेकुलर शब्द जोड़ने को लेकर लाया संसोधन का प्रस्ताव भी संविधान सभा ने ख़ारिज कर दिया था.

संविधान की प्रस्तावना में ना केवल सेकुलर शब्द था बल्कि 1949 में संविधान में तब सेकुलर शब्द जोड़ने को लेकर लाया संसोधन का प्रस्ताव भी संविधान सभा ने ख़ारिज कर दिया था.

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Ravindra Singh
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Gyanant Singh

ज्ञानंत सिंह( Photo Credit : न्यूज नेशन)

मूल हस्तलिखित पांडुलिपि की प्रतिलिपि पर भगवान राम की तस्वीर पाए जाने के बाद वकील ज्ञानंत सिंह ने न्यूज नेशन से बातचीत करते हुए बताया कि अब तो सभी लोगों को ये बात मान ही लेनी चाहिए कि भगवान श्री राम इस राष्ट्र के प्राण है. भगवान राम इस देश के हर मन , कण कण में राम है और दिलचस्प ये कि इस देश के संविधान में भी राम है. संविधान की मूल कॉपी में ( पार्ट- 3 पर जहां मूल अधिकारों का जिक्र है) श्रीराम का यह चित्र मौजूद है, जिसमें लंका विजय के बाद वे लक्ष्मण सीता के साथ अयोध्या वापस आ रहे हैं.

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दरसअल संविधान की मूल कॉपी मे प्रसिद्ध चित्रकार नन्दलाल बोस और उनके छात्रों की बनाई देश के और संस्कृति को दर्शाती 22 तस्वीरे मौजूद है । इनमे वैदिक काल से लेकर भगवान नटराज, महावीर, गौतम बुद्द , गुरुगोबिंद सिंह जी की तस्वीर शामिल है.

न्यूज नेशन से बात चीत के दौरान एक सवाल इस राजनैतिक विरोध को लेकर भी पूछा गया है कि क्या सेकुलर देश के पीएम को अयोध्या जाना चाहिए या नहीं, जिसके जवाब में उन्होंने  बताया है कि कैसे संविधान की प्रस्तावना में ना केवल सेकुलर शब्द था बल्कि 1949 में संविधान में तब सेकुलर शब्द जोड़ने को लेकर लाया संसोधन का प्रस्ताव भी संविधान सभा ने ख़ारिज कर दिया था.

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