कश्मीर घाटी में फिर से बढ़ा दी गई सुरक्षा व्यवस्था, जानें क्यों
कश्मीर (Kashmir) में मंगलवार को दो धमाकों में दो लोगों के मारे जाने के बाद बुधवार को घाटी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. अधिकारियों ने बताया कि कुछ बाजार सहित संवेदनशील इलाकों में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. उन्होंने बताया कि नागरिकों में सुरक्षा की भ
श्रीनगर:
कश्मीर (Kashmir) में मंगलवार को दो धमाकों में दो लोगों के मारे जाने के बाद बुधवार को घाटी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. अधिकारियों ने बताया कि कुछ बाजार सहित संवेदनशील इलाकों में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. उन्होंने बताया कि नागरिकों में सुरक्षा की भावना लाने और कारोबार सुगमता से चलता रहे यह सुनिश्चित करने के लिए ये कदम उठाए गए हैं. अनंतनाग और हजरतबल क्षेत्र में दो धमाकों में दो लोगों के मारे जाने और अनेक लोगों के घायल होने के मद्देनजर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर (Srinagar) सहित घाटी भर में बुधवार सुबह दुकाने खुलीं.अनुच्छेद 370 (Article-370) के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के विरोध में हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने के लिए दोपहर में अनेक दुकानकारों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं. हालांकि कुछ दुकानें देर तक खुली रहीं. सार्वजनिक परिवहन बुधवार को चले. कश्मीर घाटी में लगभग तीन माह तक प्रदर्शन और पाबंदियों के बाद घाटी में हालात सामान्य हो रहे थे लेकिन दुकानदारों और सार्वजनिक परिवहन संचालकों को धमकी देने वाले पोस्टर नजर आने के बाद पिछले सप्ताह बुधवार से बंद फिर से शुरू हो गए.
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पुलिस ने बताया कि उन्होंने इस प्रकार की घटनाओं पर संज्ञान लिया है और अनेक लोगों को गिरफ्तार करके कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया है. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की पांच अगस्त की केंद्र की घोषणा के बाद से अभी तक यहां प्री-पेड मोबाइल फोन और सभी इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं. शीर्ष स्तर एवं दूसरी पंक्ति के अलगाववादी नेताओं को एहतियातन नजरबंद रखा गया है. इसके साथ ही दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला एवं महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या तो हिरासत में रखा गया है या नजरबंद किया गया है.
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सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं श्रीनगर से मौजूदा लोकसभा सांसद फारुक अब्दुल्ला को अब भी विवादित लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में रखा है. इस कानून को 1978 में अब्दुल्ला के पिता एवं नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री रहते हुए लागू किया था.
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