जानें आखिर क्यों, देश के इस हिस्से में दफन हैं चीन के कई सेनिक, पढ़ें पूरा मामला

विश्व युद्ध में जिन सैनिकों की मौत हुईं थीं उन्हें भारत के तीन स्थानों पर दफनाया गया था.

विश्व युद्ध में जिन सैनिकों की मौत हुईं थीं उन्हें भारत के तीन स्थानों पर दफनाया गया था.

author-image
yogesh bhadauriya
एडिट
New Update
जानें आखिर क्यों, देश के इस हिस्से में दफन हैं चीन के कई सेनिक, पढ़ें पूरा मामला

इस कब्रिस्तान को चाइना कब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है.

चाइना कब्रिस्तान में आज भी द्वितीय विश्व युद्ध की स्मृतियां मौजूद हैं. विश्व युद्ध में जिन सैनिकों की मौत हुईं थीं उन्हें भारत के तीन स्थानों पर दफनाया गया था. उसमें झारखंड का रामगढ़ भी हैं. ताइवान सरकार ने कब्रिस्तान को बनवाया था. 18 मार्च 1942 से लेकर मार्च 1945 के बीच द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था इस दौरान चीनी सेना ने भी युद्ध में भाग लिया था. झारखंड के इस कब्रिस्तान को चाइना कब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है.

Advertisment

यह भी पढ़ें- झारखंड : विधानसभा में 65 सीटों के लक्ष्य के साथ जमीन तैयार करने में जुटी बीजेपी

भारत में रामगढ़ के अलावा अरुणाचल प्रदेश और असम में भी इस तरह का कब्रिस्तान मौजूद हैं. ताइवान सरकार के प्रतिनिधि यहां आकर कब्रों में उनकी याद में विशेष पूजा अर्चना करते हैं. रामगढ़ के बुजुर्गों जमीरा स्थित कब्रिस्तान का लाखों की लागत से ताइवान सरकार ने सुंदरीकरण कराया है. इसमें मुख्य द्वार पर म्यूजियम हॉल और गेस्ट रूम बनवाए गए हैं. मुख्य द्वार से लेकर बौद्ध मठ तक मार्बल से सड़क निर्माण कराया गया है. बौद्ध मठ शहीद स्मृति स्थल का सुंदरीकरण किया गया है सड़क के दोनों किनारों में फूल लगाए गए हैं. चाइना कब्रिस्तान में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 670 सैनिकों को दफनाया गया था. इसके अलावा 40 सैनिकों को बाद में और 5 सैनिकों को गुप्त सूचना दुश्मनों सेना को देने के कारण कोर्ट मार्शल किया गया था. उन्हें भी यही दफनाया गया है.

कोलकाता से होता है संचालन

रामगढ़ के चाइना कब्रिस्तान की देखरेख कोलकाता के एक केयरटेकर के द्वारा की जाती है. 1984 में ताइवान सरकार ने सुंदरीकरण करवाने के बाद बुजुर्ग जमीरा के चक्रधारी यादव को कब्रिस्तान की देखरेख के कार्य में लगाया गया था. चाइना कब्रिस्तान ध्यान स्थल भी है. चाइना कब्रिस्तान के पिछले हिस्से में बौद्ध मंदिर भी है इसमें भगवान बुध की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई है.

यहां जब भी दूतावास या ताइवान से आए लोग कार्यक्रम करते हैं तो यहां ध्यान लगाते हैं. सैनिकों के परिजन भी इस अवसर पर आकर कब्र पर मोमबत्ती और अगरबत्ती जलाते हैं तथा पुष्प चढ़ाते हैं.

Source : अविनाश गोस्वामी

PM modi china Cm Raghubar Das china kabristan
      
Advertisment