पीएमएलए की धारा 45 सिर्फ ईडी के गिरफ्तार किए लोगों पर लागू होगी : दिल्ली कोर्ट
पीएमएलए की धारा 45 सिर्फ ईडी के गिरफ्तार किए लोगों पर लागू होगी : दिल्ली कोर्ट
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने पाया है कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 के प्रावधान केवल तभी लागू होंगे, जब किसी व्यक्ति को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किया गया हो।अदालत ने हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज अपराधों के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय बनाम जेनिक कार्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और अन्य नामक एक मामले में आरोपी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की।
तीस हजारी अदालत के विशेष न्यायाधीश नवीन कुमार कश्यप ने सीआरपीसी की धारा 439 के तहत आरोपी व्यक्तियों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिकाओं पर फैसला लेते हुए यह आदेश पारित किया।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर एक शिकायत पर विशेष न्यायालय ने समन जारी किया था। इसके बाद आरोपी व्यक्तियों ने याचिका दायर की थी।
इस मामले में अधिनियम की धारा 3 और 70 के तहत अपराध करने का आरोप लगाया गया था। यह बताने के लिए पर्याप्त है कि ईडी ने जांच के दौरान आरोपी व्यक्तियों को कभी गिरफ्तार नहीं किया था। आरोपी व्यक्ति ऑडी और पोर्श कारों के अधिकृत डीलर हैं।
उनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार दुबे ने किया और करंजावाला एंड कंपनी की एक टीम के निर्देश पर समरजीत पटनायक-पार्टनर के नेतृत्व वाले अधिवक्ता और पुनीत रेलन और मुजमिल- सीनियर एसोसिएट्स, विशेष पीपी मोहम्मद फराज प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से हाजिर हुए।
आरोपी व्यक्तियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार दुबे ने तर्क दिया कि ईडी द्वारा अधिनियम की धारा 19 के तहत गिरफ्तार एक आरोपी की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते समय धारा 45 (1) (2) धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत निर्धारित दोहरे परीक्षण को ध्यान में रखा जाए।
दूसरी ओर, ईडी के स्पेशल पीपी द्वारा तर्क दिया गया कि धारा 45 (1) के तहत जमानत देने के लिए दोहरी शर्त का पालन करना आवश्यक है, क्योंकि प्रावधान की वैधता 2018 तक बहाल कर दी गई थी।
ईडी के वकील ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी भी आदेश से धारा 45 (1) पर न तो रोक लगाई गई है और न ही इसके संचालन को अमान्य किया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नवीन कुमार कश्यप ने जमानत देते हुए कहा कि धारा 45 (1) पीएमएलए में जमानत पर रिहा किया जाएगा वाक्यांश शामिल है। इसलिए धारा 45 पीएमएलए को अमल में लाने के लिए एक व्यक्ति को पहले गिरफ्तार करना होगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा। अनुच्छेद 21 अपने व्यापक अर्थ को देखते हुए न केवल जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करता है, बल्कि एक निष्पक्ष प्रक्रिया की भी परिकल्पना करता है।
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