भारत ने शनिवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों से आतंकवाद से निपटने के लिए अपवाद या दोहरे चरित्र के बिना मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को मजबूत करने के लिए कहा. इस दौरान भारत ने पाकिस्तान (Pakistan) की ओर से पनपने वाले आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ अपनी आवाज मजबूत की.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने ताशकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन (SCO Summit) को संबोधित करते हुए कहा, 'आतंकवाद सामाजिक विकास को बाधित कर सकारात्मक प्रयासों को कमजोर कर रहा है. आतंकवादियों और उनके समर्थकों का मुकाबला करने व इस संकट से पार पाने का एकमात्र तरीका अपवाद या दोहरे चरित्र के बिना सभी मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और तंत्रों को मजबूत करना और लागू करना है.'
रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) के विशेष दूत के रूप में सरकार के प्रमुखों की परिषद (सीएचजी) की 18वीं बैठक को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने इस क्षेत्र की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए आठ सदस्यीय संगठन के महत्व पर प्रकाश डाला.
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उन्होंने कहा, 'आतंकवाद हमारे समाजों को बाधित कर रहा है और हमारे विकास के प्रयासों को कमजोर कर रहा है. एससीओ देशों के लिए इस खतरे से निपटने के लिए एकजुट होना जरूरी है.'
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भाग लेने वाली सेनाओं के अभ्यास को विकसित करने के उद्देश्य से ऑरेनबर्ग में एससीओ संयुक्त सैन्य अभ्यास 'सेन्टर 2019' को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए रूस को बधाई दी.
सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने एससीओ सदस्यों के विकास के लिए अपार अवसर खोले हैं. उन्होंने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, गरीबी, विकास, महामारी और असमानता जैसी चुनौतियों को खत्म करने के लिए एससीओ से मिलकर काम करने का आग्रह किया. उन्होंने भारत में निवेश और व्यापार करने को साझेदार देशों के लिए सक्षम आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के सरकार के संकल्प को भी दोहराया.
उन्होंने 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए एससीओ देशों को भारत में सहयोगी संयुक्त उद्यमों के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि देश में व्यापार को बेहतर बनाने की दिशा में पहले ही महत्वपूर्ण कार्य किए जा चुके हैं.
रक्षा मंत्री ने कहा, 'हम एससीओ के साथ छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए पहल का समर्थन करते हैं.'
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इस बैठक में उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला निगमातोविच अरिपोव, एससीओ सदस्यों के प्रधानमंत्री और प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख, एससीओ के महासचिव व्लादिमीर नोरोव और क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) के कार्यकारी निदेशक जुमाखोन जियोसोव ने भी भाग लिया.
एससीओ में भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.