एम्स प्रोफेसर का बड़ा बयान, लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू, वैज्ञानिक सोच नहीं सियासी दबाव है
भारत में एक बड़ी जनसंख्या का टीकाकरण किया गया है, लेकिन टीकाकरण के बाद हर मृत्यु को वैक्सीन से जोड़ कर देखना ठीक नहीं है . भारत में हर दिन करीब 26000 लोगों की मौत होती है अगर सब का टीकाकरण किया जाएगा.
highlights
- आईसीएमआर भारत बायोटेक की वैक्सीन से 98.2% एंटीबॉडी
- यूरोप की तकरीबन एक दर्जन देशों ने इस पर रोक लगाई है
- महाराष्ट्र में आकड़े बढ़ने के पीछे असंक्रमित समुदाय
नई दिल्ली :
देश के सबसे बड़े कम्युनिकेबल डिजीज एक्सपर्ट में से एक एम्स के प्रोफेसर और वैक्सीन ट्रायल के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉक्टर संजय कुमार राय ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू, वैज्ञानिक सोच नहीं हर राजनीतिक दबाव है. लॉकडाउन लगाने से वायरस के प्रसार में कमी नहीं आएगी, जब सीरो सर्वे यह बता रहा है कि एक तिहाई जनसंख्या तक करोना संक्रमण फैल चुका है तो लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू लगाने से हम संक्रमण पर रोक नहीं लगा सकते, यह पूरी तरह से वैज्ञानिक सोच नहीं है और कोई भी संक्रमण महामारी एक्सपर्ट इसकी सलाह नहीं देगा. यह सिर्फ राजनीतिक लिहाज से उठाया गया कदम. गौरतलब है कि महाराष्ट्र के कई शहरों में नाइट कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाया गया है.
आईसीएमआर भारत बायोटेक की वैक्सीन से 98.2% एंटीबॉडी
किसी भी वैक्सीन की विश्वसनीयता एंटीबॉडी igg के आधार पर ही मानी जाती है. जिस तरह से संक्रमण होने के बाद हमारा शरीर प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडी बनाता है. वैसे ही वैक्सीन ही एंटीबॉडी बनाती है. अब को-वैक्सीन के दूसरे चरण के ट्रायल के नतीजे सामने आ गए हैं, जिसमें एंटीबॉडी टेस्ट किया गया है. इसके अनुसार जिन लोगों को वैक्सीन दी गई थी उनमें से 98% व्यक्तियों के अंदर एंटीबॉडी आई है. यह विश्व में बेहतरीन प्रदर्शन है क्योंकि अमेरिका की फाइजर ,मरोड़ोरना, ब्रिटेन की एस्ट्रेजनेका से भी बेहतर है.
कोविशील्ड पर जल्दबाजी में रोक लगाना ठीक नहीं
यूरोप की तकरीबन एक दर्जन देशों ने इस पर रोक लगाई है. उनका कहना है कि इसकी वजह से ब्लड क्लोट हो सकता है, लेकिन इसकी पुष्टि वैज्ञानिक शौध और सबूतों के आधार पर नहीं हुई है. भारत में एक बड़ी जनसंख्या का टीकाकरण किया गया है, लेकिन टीकाकरण के बाद हर मृत्यु को वैक्सीन से जोड़ कर देखना ठीक नहीं है . भारत में हर दिन करीब 26000 लोगों की मौत होती है अगर सब का टीकाकरण किया जाएगा तो इस आंकड़े को उस से जोड़कर देखा जा सकता है, जबकि यह सही नहीं होगा.
महाराष्ट्र में आकड़े बढ़ने के पीछे असंक्रमित समुदाय, पंजाब में मृत्यु दर तात्कालिक रूप से नहीं देखना चाहिए
महाराष्ट्र में करोना का संक्रमण उस जनसंख्या में ज्यादा फैला है ,जो अभी तक इस महामारी से बची हुई थी. जहां तक पंजाब का सवाल है पंजाब में मृत्यु दर ज्यादा है, लेकिन वह है इसलिए है क्योंकि अब तेजी से बहुत सारे के सामने आ गए हैं ,लेकिन जैसे जैसे समय बीतेगा वैसे वैसे वहां भी मृत्यु दर बाकी देश के आस पास ही रहेगी.
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