शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश नहीं लेने वाले स्कूलों पर जल्द बड़ी कार्रवाई होने वाली है। अगर स्कूलों ने 2 मई तक इन सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं दिया तो उनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है।
जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐश्वर्या लक्ष्मी को निर्देश दिए हैं कि दो मई तक आरटीई के तहत प्रवेश नहीं देने वाले स्कूलों के प्रधानाचार्यों को 3 मई को होने वाली बैठक में बुलाया जाए। बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में ऐसे स्कूलों की सूची तैयार की जा रही है, जिन्होंने अब तक आरटीई के तहत सबसे कम दाखिले लिए हैं। विभाग की ओर से पहले चरण की सूची में नाम आने वाले बच्चों का दाखिला लेने के लिए कई बार स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं। उसके बाद भी स्कूलों की ओर से दाखिले नहीं लिए जा रहे हैं।
सबसे अधिक शिकायत आने वाले स्कूलों के साथ 3 मई को जिलाधिकारी बैठक करेंगे। बैठक में स्कूलों से कारण पूछा जायेगा कि आरटीई के तहत दाखिला लेने में उन्हें क्या परेशानी आ रही है। उसके बाद भी दाखिला लेने से मना करने वाले स्कूलों के खिलाफ मान्यता रद होने की कार्रवाई हो सकती है। पहले चरण की सूची में नाम आने वाले करीब साढ़े 1600 बच्चों का ही प्रवेश अब तक निजी स्कूलों में हो पाया हैं। दूसरे चरण की सूची में नाम आने वाले बच्चों के दाखिले भी स्कूलों की ओर से नहीं लिए जा रहे है।
बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में सबसे अधिक शिकायत ग्रेनो वेस्ट स्थित द मिलेनियम, दिल्ली वल्र्ड पब्लिक स्कूल, मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल नोएडा, लोटस वैली इंटरनेशनल स्कूल, समरविले इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 132, बाल भारती पब्लिक स्कूल सेक्टर 21, दिल्ली पब्लिक स्कूल नोएडा, ग्रेड्स इंटरनेशनल स्कूल के खिलाफ आई हैं। इन स्कूलों को जिलाधिकारी की बैठक में बुलाया जा सकता है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐश्वर्या लक्ष्मी ने बताया कि 2 मई तक आरटीई के तहत दाखिले नहीं लेने वाले स्कूलों के साथ जिलाधिकारी बैठक करेंगे। लगभग 30 स्कूलों की अभी तक सूची तैयार की गई है, जिन्होंने सबसे कम दाखिले लिए हैं।
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Source : IANS