यूपी की जानी मानी बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के महिला महाविद्यालय के हॉस्टल में छात्राओं ने लैंगिग आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। लैंगिग आधार पर आरोप वाली याचिका को देश की सर्वोच्च अदालत सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। इस याचिका को वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के सामने रखा है।
दायर याचिका के माध्यम से वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि इन नियमों का उल्लंघन करने पर छात्राओं को हॉस्टल छोड़ने का आदेश दे दिया जाता है। याचिका में मांग की गई है कि हॉस्टल की गाइडलाइनंस को छात्र हॉस्टल की तरह बनाया जाए।
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क्या है मामला?
दरअसल बीएचयू की छात्राओं ने हॉस्टल में छात्र और छात्राओं के लिए बने अलग-अलग नियमों को कोर्ट में चुनौती दी है। छात्राओं ने दायर याचिका में आरोप लगाया है कि छात्राओं के लिए बनाए नियमों में लैंगिक आधार पर भेद भाव किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि छात्राओं को रात 8 के बाद हॉस्टल छोड़ने की इजाजत नही है जबकि छात्रों को 10 बजे तक बाहर रहने की इजाज़त है। इसके अलावा छात्राएं रात 8 बजे के बाद कॉलेज की लाइब्रेरी तक में भी नही जा सकती, जबकि छात्र जा सकते हैं।
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वहीं, छात्राओं को हॉस्टल के कमरे में वाई फाई लगाने की भी इजाज़त नहीं हैं। एक यह भी नियम है कि छात्राएं अपने कमरे से बाहर सभ्य पोशाक में निकलेंगी लेकिन छात्रों पर कोई अंकुश नहीं है न ही कोई ड्रेस कोड लागू है।
यहीं नहीं, लड़कियों को हॉस्टल में मांसाहार की इजाजत नहीं है न ही वो किसी राजीतिक वादविवाद में हिस्सा लें सकती हैं, और न ही 10 बजे के बाद फोन पर बात कर सकती हैं।
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Source : News Nation Bureau