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सबरीमाला मंदिर पर SC 6 फरवरी को करेगी सुनवाई
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केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 6 फरवरी को सुनवाई होगी.
सबरीमाला मंदिर पर SC 6 फरवरी को करेगी सुनवाई
केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 6 फरवरी को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला किए जाने के बाद से सबरीमाला में हिंदू समूहों और स्थानीय लोगों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. मंदिर में पहले 10 साल की उम्र से लेकर 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश करने पर प्रतिबंध था.
Supreme Court to hear on February 6 the review petitions filed against verdict allowing entry of women of all age groups into the #Sabarimala temple. #Kerala pic.twitter.com/1RPmUTOrnF
— ANI (@ANI) January 31, 2019
दो महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के बाद मचा था बवाल
बता दें कि बीते 2 जनवरी को बिंदू अम्मिनी और कनक दुर्गा नाम की दो महिलाओं ने परंपराओं को तोड़ते हुए सबरीमाला मंदिर का दर्शन किया था जिसके बाद मंदिर में शुद्धिकरण अनुष्ठान किया था. सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को इन दो महिलाओं को समुचित सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है. मंदिर खुलने के दौरान कई और महिलाओं ने भी भगवान अयप्पा के दर्शन करने की कोशिश की थी लेकिन भारी विरोध प्रदर्शन के बीच कोई सफल नहीं हो सकी थी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 28 सितंबर को दिए अपने फैसले में कहा था कि सभी उम्र की महिलाओं (पहले 10-50 वर्ष की उम्र की महिलाओं पर बैन था) को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश मिलेगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 48 पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए 22 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई है.
कोर्ट ने क्या कहा था
अदालत ने कहा था कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. अदालत की 5 सदस्यीय पीठ में से 4 ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया जबकि पीठ में शामिल एकमात्र महिला जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग राय रखी थी.
पूर्व मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस एम.एम. खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा था, 'शारीरिक या जैविक आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता. सभी भक्त बराबर हैं और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता.'
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भी अलग लेकिन समवर्ती फैसले में कहा था, 'धर्म महिलाओं को उनके पूजा करने के अधिकार से वंचित नहीं रख सकता.' अदालत ने कहा Le कि सबरीमाला मंदिर किसी संप्रदाय का मंदिर नहीं है. अयप्पा मंदिर हिंदुओं का है, यह कोई अलग इकाई नहीं है.
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महिला जज की अलग राय
वहीं जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग राय रखते हुए कहा था, 'धार्मिक प्रथाओं को समानता के अधिकार के आधार पर पूरी तरह से परखा नहीं जा सकता. यह पूजा करने वालों पर निर्भर करता है न कि अदालत यह तय करे कि किसी के धर्म की प्रक्रिया क्या होगी. सभी भक्तों को उनकी मान्यताओं के आधार पर उनके विश्वास का अनुसर
Source : News Nation Bureau