SC/ST एक्ट में बदलाव से जुड़ी सभी याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई 19 फरवरी को होगी. SC/ST एक्ट में तुंरत गिरफ्तारी का प्रावधान को जोड़ने के लिए सरकार की ओर किये बदलाव पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है. बता दें 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी. उसके बाद केंद्र सरकार ने वो प्रावधान फिर जोड़ा. अब फैसले के खिलाफ सरकार की रिव्यू पिटीशन और कानून में बदलाव को चुनौती पर एक साथ सुनवाई होगी.
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पिछले 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में सरकार की ओर से किये गए बदलाव के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की ओर से किये गए संशोधन पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में एससी एसटी एक्ट के मामलों में तुरंत गिरफ्तारी के प्रावधान का विरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी लेकिन सरकार ने बदलाव कर रद्द किए गए प्रावधानों को फिर से जोड़ दिया.
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7 सितंबर, 2018 को याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने वाले संशोधन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. याचिका वकील प्रिया शर्मा और पृथ्वी राज चौहान ने दायर की है. याचिका में केंद्र सरकार के नए एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को असंवैधानिक बताया गया है. याचिका में कहा गया है कि इस नए कानून से बेगुनाह लोगों को फिर से फंसाया जाएगा.
क्या है एससी/एसटी एक्ट
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था. जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस कानून को लागू किया गया था. इस कानून के तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए है.
इन लोगों पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई है जिससे कि ये अपनी बात खुलकर रख सके. हाल ही में एससी-एसटी एक्ट को लेकर उबाल उस वक्त सामने आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के प्रावधान में बदलाव कर इसमें कथित तौर पर थोड़ा कमजोर बनाना चाहा.
सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में किया था यह बदलाव
- सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के बदलाव करते हुए कहा था कि इस तरह के मामले में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जाएगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने के बाद डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा शुरुआती जांच की जाएगी और जांच किसी भी सूरत में 7 दिन से ज्यादा समय तक नहीं होगी.
- डीएसपी शुरुआती जांच कर नतीजा निकालेंगे कि शिकायत के मुताबिक क्या कोई मामला बनता है या फिर किसी तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है?
Source : News Nation Bureau