नौकरियों में ट्रांसजेंडर्स के साथ भेदभाव की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयर इंडिया को नोटिस भेजा है। मंत्रालय और एयर इंडिया को इस संबंध में 4 हफ्तों के अंदर जवाब देना है।
ट्रांसजेंडर्स समुदाय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाल कर यह अपील की गई थी कि एयर इंडिया में हुई भर्तियों में उनके साथ भेदभाव हुआ है और उन्हें नौकरी से वंचित रखा गया है।
ट्रांसजेंडर्स समुदाय की ओर से दायर याचिका में कहा है कि हाल ही में एयर इंडिया की ओर से निकली नौकरी की 400 भर्तियों में एक भी नौकरी उनके समुदाय में किसी को नहीं मिली है।
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याचिकाकर्ताओं ने बताया कि इन भर्तियों का विज्ञापन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी साझा किया था। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अब नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयर इंडिया से जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 में एक अहम फैसला सुनाते हुए ट्रांसजेंडर्स को 'थर्ड जेंडर' के रूप में पहचान दे दी थी। इससे पहले उन्हें मजबूरी में अपना जेंडर 'मेल' या 'फीमेल' बताना पड़ता था।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही ट्रांसजेंडर्स को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के रूप में पहचान करने के लिए कहा था।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में एडमिशन लेते वक्त या नौकरी देते वक्त ट्रांसजेंडर्स की पहचान थर्ड जेंडर के रूप में की जाए और आवेदन के लिए फॉर्म में बकायदा 'थर्ड जेंडर' की कटैगरी बनाई जाए।
अब इस मामले में ट्रांसजेंडर्स ने खुद को सामाजिक और आर्थिक रुप से वंचित रखे जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।
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Source : News Nation Bureau