J & K में लगाई पाबंदियों पर SC का दखल से इंकार, कहा- सरकार को वक़्त मिलना चाहिए

जम्मू कश्मीर में एक वर्ग है, जो हालात बिगड़ने के लिए सिर्फ एक मौके का इंतज़ार कर रहे है.

जम्मू कश्मीर में एक वर्ग है, जो हालात बिगड़ने के लिए सिर्फ एक मौके का इंतज़ार कर रहे है.

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Ravindra Singh
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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

जम्मू कश्मीर से धारा 144 हटाने और मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल करने की मांग पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश पास करने से इंकार किया है. कोर्ट ने सरकार की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि सरकार को हालात सामान्य करने के लिए वक़्त दिया जाना चाहिए, रातोंरात हालात नहीं बदल सकते. सरकार की ओर से अटॉनी जनरल के के वेणुगोपाल ने बताया कि जम्मू कश्मीर में स्थिति तेज़ी से बदल रही है. सरकार हालात पर नज़र रखे हुए है. जम्मू कश्मीर में एक वर्ग है, जो हालात बिगड़ने के लिए सिर्फ एक मौके का इंतज़ार कर रहे है, ऐसे सबूत है कि कैसे अलगाववादी, आम आदमियों को भड़का रहे हैं और सीमापार से मिल रहे निर्देशों के मुताबिक ऐसा हो रहा है. ऐसे में कोई जोखिम नहीं उठाया जा सकता.

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कोर्ट के ये पूछने पर कि हालात सुधरने में कितना वक्त लगेगा, अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार अभी क़ानून व्यवस्था व्यवस्था कायम करने की पुरजोर कोशिश कर रही है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद जम्मू कश्मीर के हालात इस कदर बिगड़ गए थे कि वहां 47 लोगों की मौत हो गई थी. इस बार गनीमत ये रही कि किसी की मौत नहीं हुई. एजी ने कोर्ट को आश्वस्त किया है कि इस बार इतना वक़्त नहीं लगेगा. ज़मीनी हालात को देखते हुए एक-एक करके वहां से सारे प्रतिबन्धों को हटा लिया जाएगा.

हालांकि याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला की ओर से वकील मेनका गुरुस्वामी ने सेना के जवानों का भी हवाला दिया. उनकी ओर से कहा गया कि जवान अपने घरवालों से बात नहीं कर पा रहे हैं, इस पर कोर्ट ने उन्हें टोका. इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि लोग वहां पहले की तरह हॉस्पिटल और पुलिस स्टेशन नहीं जा पा रहे हैं लेकिन याचिका के समर्थन में उन्होंने कोई ऐसी विशेष घटना की जानकारी कोर्ट के सामने नहीं रखी. इस पर जस्टिस मिश्रा ने टोकते हुए कहा कि जीवन और स्वतंत्रता के बुनियादी सवाल पर हम आपके साथ है, लेकिन वहां स्थिति इतनी गम्भीर है कि हमारे सामने सही-सही तथ्य होने चाहिए.

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सरकार की दलीलों से सहमति जताते हए जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि हम भी हालत सामान्य करने के पक्ष में है. लेकिन ऐसा किसी जान की कीमत पर नहीं किया जा सकता है. हमें स्थिति की गम्भीरता का अंदाज़ा नहीं है. सरकार के पास ज़रूर कुछ इनपुट रहे होंगे. ढील देने पर कल कोई बुरा वाकया पेश हो जाता है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने हालात सामान्य करने के लिए सरकार को वक़्त देते हुए सुनवाई को दो हफ्ते के लिए टाल दिया. कोर्ट ने कहा है कि अगर दो हफ्ते बाद भी यही हालत रहते है तो हम विचार करेंगे.

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HIGHLIGHTS

  • जम्मू-कश्मीर में दखल देने से SC का इंकार
  • SC ने कहा सरकार को थोड़ा और समय दिया जाए
  • अगर हालात बिगड़े तो कौन होगा जिम्मेदार- SC
Supreme Court Restrictions in Jammu and Kashmir Jammu and Kashmir
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