क्या सरकारी जमीन पर धार्मिक कर्मकांडों की इजाजत मिलनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए सवाल पूछा कि भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में क्या सरकारी जमीन पर धार्मिक क्रिया-कलापों को करने की अनुमति दी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए सवाल पूछा कि भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में क्या सरकारी जमीन पर धार्मिक क्रिया-कलापों को करने की अनुमति दी जा सकती है।

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vineet kumar1
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क्या सरकारी जमीन पर धार्मिक कर्मकांडों की इजाजत मिलनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए सवाल पूछा कि भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में क्या सरकारी जमीन पर धार्मिक क्रिया-कलापों को करने की अनुमति दी जा सकती है।

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सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजते हुए कहा कि संवैधानिक बेंच अब इस बात का फैसला करेगी कि क्या राम लीला, माता की चौकी या दूसरे धार्मिक कार्यक्रम सरकार की संपत्ति या सरकारी जमीन में हो सकते है अथवा नही?

जस्टिस आर एफ नरीमन और इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को संवैधानिक पीठ की बड़ी बेंच में सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष भेज दिया है।

दरअसल NGT ने एक मामले में फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि दिल्ली के एक पार्क में माता की चौकी हो संकट है लेकिन NMCD ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि माता की चौकी पूजा के तहत नही आती।

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जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ज्योति जागरण मंडल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में संवैधानिक पहलू शामिल है इस लिए मामले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजते है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता फुजैल अयूबी और ईशा भारद्वाज केस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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Source : News Nation Bureau

Supreme Court national green tribunal Fuzail Ayyubi Isha Bhardwaj
      
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