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सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : फाइल फोटो)
नागरिकता संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने फौरी तौर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिना केंद्र का जवाब सुने वो इस पर कोई आदेश नहीं दे सकता. वहीं कोर्ट ने इस मसले पर सरकार को जवाब देने 4 हफ्तों का वक्त दिया है. सरकार को 4 हफ्तों के अंदर दवाब देना होगा और पांचवे हफ्ते कोर्ट फिर इस पर सुनवाई करेगा. हालांकि कोर्ट त्रिपुरा और असम के मसले को अलग करते हुए सरकार को इस पर जवाब देने के लिए केवल 2 हफ्तों का ही समय दिया है.
चीफ जस्टिस एसए बोवड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को CAA पर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि हमें असम-त्रिपुरा और बाकी राज्यों के मामले को अलग-अलग देखना होगा.
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सीजेआई ने कहा, इस पूरे मामले को संवैधानिक पीठ को सौंपा जा सकता है. इस पर आगे फैसला लिया जा सकता है. इसी के साथ ये भी कहा कि, हम इस पूरे मामले को जोन के आधार पर बाटेंगे और अलग-अलग कैटेगरी बनाएंगे. इसमें असम और त्रिपुरा का मामला अलग होगा जबिक बाकी राज्यों का मामला अलग जोन में होगा.
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बुधवार को नागरिकता कानून को लेकर दायर 140 याचिकाओं की सुनवाई करते सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम बिना सभी को सुने कोई आदेश पारित नहीं करेंगे. सुनवाई शुरू होते ही नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दलीलें पेश करते हुए कपिल सिब्बल ने कोर्ट से गुजारिश की कि जब तक नागरिकता कानून पर कोर्ट कोई अंतिम निर्णय निर्देश नहीं देता, NPR प्रकिया को तीन महीने के लिए टाल दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरन कहा कि याचिकाओं की कॉपी केंद्र को सौंपी जांए और उन्हें जवाब देने दें. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए 4 हफ्तों का समय दिया दे दिया. इसके बाद बाद 5वें हफ्ते में फिर इस पर सुनवाई की जाएगी.