सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को नोटिस जारी किया, जिसमें शिकायत की गई थी कि लोगों पर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66 ए के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है, जिसे शीर्ष अदालत द्वारा रद्द कर दिया गया है।
न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन और बी.आर. गवई ने निर्देश दिया कि सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस दिया जाए और मामले को 4 सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा है कि यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्राथमिक कर्तव्य है कि वे आईटी अधिनियम की धारा 66 ए के तहत मामले दर्ज करना बंद कर दें क्योंकि इसके द्वारा प्रावधान को रद्द कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरूआत में कहा था कि यह चौंकाने वाला और परेशान करने वाला है कि लोगों पर धारा 66 ए के तहत मामला दर्ज किया जा रहा था, हालांकि प्रावधान को रद्द कर दिया गया है।
सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि न्यायपालिका के पहलू पर अलग से ध्यान दिया जा सकता है, लेकिन पुलिस भी है जो इस धारा के तहत लोगों पर आरोप लगा रही है। पीठ ने कहा कि एक उचित आदेश की जरूरत है, क्योंकि यह इस तरह जारी नहीं रह सकता।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा था, यह प्रस्तुत किया गया है कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था संविधान के अनुसार राज्य के विषय हैं।
केंद्र सरकार के अनुसार, 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को लिखे अपने पत्रों में 2015 के फैसले के अनुपालन की सूचना दी है।
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Source : IANS