सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विभिन्न न्यायाधिकरणों के सदस्यों का चार साल का कार्यकाल तय करने वाले ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स ऑर्डिनेंस 2021 के प्रावधानों को रद्द कर दिया।
मद्रास बार एसोसिएशन की एक याचिका पर जस्टिस एल नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता और रवींद्र भट की पीठ ने यह फैसला दिया, जिसमें अध्यादेश की धारा 12 और 13 जिसके द्वारा वित्त अधिनियम, 2017 की धारा 184 और 186(2) में संशोधन किया गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अध्यादेश के प्रावधान अधिसूचना से पहले की गई नियुक्तियों पर लागू नहीं होंगे। कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) अध्यादेश, 2021 को 4 अप्रैल को अधिसूचित किया गया था।
जस्टिस राव और भट के बहुमत के फैसले ने कहा कि यह शब्द पहले के फैसले में दिए गए स्पष्ट निर्देश का उल्लंघन करता है कि ट्रिब्यूनल के सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष होना चाहिए। पीठ ने उन प्रावधानों को रद्द कर दिया। हालांकि, जस्टिस गुप्ता ने असहमति जताते हुए याचिका खारिज कर दी।
वित्त अधिनियम, 2017 की धारा 184 और 186 ने केंद्र को विभिन्न न्यायाधिकरणों की नियुक्ति के तरीके, सेवा की शर्तों, सदस्यों के भत्ते आदि के संबंध में नियम बनाने की पावर दी।
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Source : IANS