बलात्कार और यौन उत्पीड़न से जुड़े कानूनों को बिना लिंग भेद के लागू करने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई।
याचिकाकर्ता की दलील थी कि कई बार पुरुष भी महिलाओं के हाथों यौन उत्पीड़न के शिकार होते हैं, लेकिन कानून सिर्फ महिलाओं को संरक्षण देता है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट वक़ील ऋषि मल्होत्रा ने दाखिल की थी।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने रेप से जुड़े कानून पर फिर से विचार करने की सहमति जताई है।
याचिका में कहा गया है कि अगर कोई पुरुष किसी महिला के खिलाफ रेप या यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराता है तो महिला के खिलाफ कोई करवाई नहीं होती क्योंकि 158 साल पुराने IPC के मुताबिक केवल पुरुष ही ऐसे अपराध करते हैं।
मामले की सुनवाई कर रही कोर्ट इसे 'काल्पनिक याचिका' बताया। जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ के साथ बेंच को हेड कर रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा,' 'ये कानून महिलाओं की रक्षा के लिए बनाए गए हैं। हम आपकी बहस के साथ सहमत नहीं हो सकते है। यह हमें एक 'काल्पनिक' याचिका की तरह लग रही है।'
बेंच ने कहा, अगर पुरुषों के लिए कानून में बदलाव ज़रूरी है, तो इसे देखना संसद का काम है। कोर्ट इस मामले में दखल नहीं देगी।'
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Source : News Nation Bureau