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सुप्रीम कोर्ट ने दिया ईडी को बड़ा झटका, डीके शिवकुमार की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में काग्रेस नेता डी के शिवकुमार को जमानत दिये जाने के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की अपील शुक्रवार को खारिज कर दी. शिवकुमार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत प्रदान की थी.

Updated on: 15 Nov 2019, 01:28 PM

नई दिल्‍ली:

उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में काग्रेस नेता डी के शिवकुमार को जमानत दिये जाने के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की अपील शुक्रवार को खारिज कर दी. शिवकुमार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत प्रदान की थी. न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ ने अपील में दूसरे पक्ष को नोटिस जारी करने का प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता का अनुरोध अस्वीकार कर दिया. उच्च न्यायालय ने शिवकुमार को 23 अक्टूबर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.

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इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 अक्‍टूबर को कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी थी. डीके शिवकुमार को 25 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई है. उन्‍हें देश से बाहर जाने से मनाही की गई है. उनसे यह भी कहा गया है कि वे सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे.

कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले दिनों गिरफ्तार किया था. यह वही डीके शिवकुमार हैं, जो समय-समय पर कांग्रेस के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाते रहे हैं. डीके के नाम से मशहूर शिवकुमार को रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का जनक भी कहा जाता है.

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कांग्रेस में शिवकुमार का कद उस समय और बढ़ गया था जब कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाने के समय कांग्रेस-जेडीएस का समझौता बना रहा. उन्‍होंने न केवल गठबंधन बचाया, बल्कि बीजेपी से अपने विधायकों को भी बचाया. शिवकुमार के साथ काम करने वाले कांग्रेस के चुनाव प्रचार कमिटी के महासचिव रहे मिलिंद धर्मसेना के मुताबिक, जिस क्षेत्र की जिम्‍मेदारी उन्‍हें (डीके शिवकुमार) मिलती है, उसके लिए वह जमकर होमवर्क करते हैं. शिवकुमार पार्टी की ताकत और कमजोरी को समझते हैं और इसके बाद जिम्‍मेदारी बांटते हैं.