logo-image

टूलकिट मामले में छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका खारिज, SC ने कहा, हाईकोर्ट करे फैसला

SC ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ कथित फर्जी टूलकिट के मामले में उनके ट्वीट को लेकर दर्ज प्राथमिकी की जांच पर रोक लगाने के HC आदेश के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार की दो अलग-अलग अपीलों पर विचार से इनकार किया.

Updated on: 22 Sep 2021, 12:25 PM

highlights

  • पात्रा और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को राहत
  • सुपीम कोर्ट ने कहा, हाईकोर्ट को करने दें फैसला
  • छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 11 जून को दो अलग-अलग आदेश पारित किए थे

नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ कथित फर्जी टूलकिट के मामले में उनके ट्वीट को लेकर दर्ज प्राथमिकी की जांच पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार की दो अलग-अलग अपीलों पर विचार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय को इस मामले का फैसला करने दें। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि मौजूदा मामलों को अलग-अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता क्योंकि टूलकिट मुद्दे से संबंधित कई मामले विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं। "यहां अपनी ऊर्जा बर्बाद मत करें। हम विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। हम एसएलपी खारिज करते हैं.' शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से फर्जी टूलकिट मामले से संबंधित याचिकाओं पर तेजी से निर्णय लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि मामलों को पहले की टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना तय किया जाए. 

यह भी पढ़ें : इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला था साहसिक, जिसने देश हिला दिया : सीजेआई

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 11 जून को दो अलग-अलग आदेश पारित किए और सिंह और पात्रा के खिलाफ दर्ज एक ही प्राथमिकी में अंतरिम राहत दी थी.  इस साल 19 मई को भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष आकाश शर्मा की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सिंह, पात्रा और अन्य ने मनगढ़ंत सामग्री प्रसारित की थी. गौरतलब है कि उच्च न्यायालय का कहना था कि दोनों नेताओं के खिलाफ राज्य पुलिस की FIR  राजनीतिक वजहों के चलते दर्ज  हुई लगती है. उच्च न्यायालय ने इसे लेकर जांच पर रोक लगा दी थी जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने शीर्ष न्यायालय का रुख किया था.