सुप्रीम कोर्ट ने इस साल विधानसभा चुनावों में इवीएम छेड़छाड़ के आरोपों पर तहकीकात के लिए एक दलील पर चुनाव आयोग से दो हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है।
चुनाव आयोग के वकील ने जस्टिस जे एस खेहर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की एक बेंच को सूचित किया कि ठीक ऐसे ही विषय कुछ राजनीतिक पार्टियों के द्वारा फाइल किए गए हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित है। चुनाव आयोग ने कहा कि जस्टिस चेलमेश्वर के बेंच को लंबित मामले में पहले ही नोटिस जारी किया गया है और इस दलील को उनके साथ जोड़ देना चाहिए।
इस केस के याचिकाकर्ता वकील एम एल शर्मा ने चुनाव आयोग के तर्क का विरोध किया है और कहा, 'उनका पीआइएल दूसरे विषय पर था और एक राजनीतिक पार्टी पीआइएल के साथ कोर्ट नहीं आ सकती है। चुनाव आयोग कोर्ट को बरगला रहा है। राजनीतिक पार्टियों के द्वारा याचिका दायर की गई है। राजनीतिक पार्टियां पीआइएल कैसे फाइल किए थे?'
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हालांकि शर्मा ने कहा, 'दूसरे कोर्ट के सामने जो मुद्दे निलंबित है, वो भी भविष्य के चुनावों के लिए निवेदन है कि ईवीएम के साथ वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) को जोड़ा जाना चाहिए, जबकि उन्होंने अपने याचिका में एसे कोई मुद्दे नहीं उठाए हैं। उन्होंने दावा किया कि उनका विषय दूसरा है, अगर सभी बातों को एक साथ जोड़ दिया गया, तो उनकी याचिका बर्बाद हो जाएगी।'
बेंच ने चुनाव आयोग को दो हफ्तों के भीतर याचिका पर जवाब देने को कहा है और याचिकाकर्ता से उसके बाद दो हफ्ते के अंदर प्रतिउत्तर फाइल करने को कहा है।
कोर्ट ने चुनाव आयोग को पहले भी दलील पर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसमें सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट्स के द्वारा इस साल हुए विधानसभा चुनावों में इवीएम छेड़छाड़ का आरोप था।
दलील में इवीएम की गुणवत्ता, सॉफ्टवेयर/मालवेयर और हैकिंग प्रभाव के विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक लैब से जांच कराने और कोर्ट के सामने इसकी रिपोर्ट फाइल कर आगे कार्रवाई की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ महाराष्ट्र निकाय चुनाव में इवीएम छेड़छाड़ के आरोपों को भी निर्दिष्ट किया है।
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Source : News Nation Bureau