logo-image

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा, जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक कौन?

बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

Updated on: 28 Mar 2017, 08:09 AM

highlights

  • बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
  • जम्मू-कश्मीर में आबादी के आधार पर मुसलमान बहुसंख्यक हैं और हिंदू अल्पसंख्यक।
  • राज्य की जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों की पहचान की जानी चाहिए।

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक कौन है इस मुद्दे पर एक बार फिर से बहस ज़ोर पकड़ने लगी है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से कहा कि वो दोनों आपस में बातचीत कर ये तय करे कि राज्य में अल्पसंख्यक कौन है।

चीफ़ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एसके कॉल की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच का कहना है, 'ये बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है और दोनों सरकारों को मिलकर इसका हल खोजना चाहिए।'

इसके साथ ही बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

दरअसल पिछले साल जम्मू निवासी वकील अंकुर शर्मा ने एक जनहित याचिका दायर की थी और कहा था कि जम्मू-कश्मीर में आबादी के आधार पर मुसलमान बहुसंख्यक हैं और हिंदू अल्पसंख्यक।

और पढ़ें: यूपी विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रविन्द्र सिंह ने दिया इस्तीफा

इस लिहाज़ से वहां अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ हिंदुओं को मिलना चाहिए था। लेकिन वो लाभ बहुसंख्यक मुसलमानों को मिल रहा है।

उनका कहना था कि मुसलमानों को मिले अल्पसंख्यक समुदाय के दर्ज़े पर फिर से विचार किया जाना चाहिए और राज्य की जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों की पहचान की जानी चाहिए।

जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कोर्ट से कहा कि उन्होंने महबूबा मुफ्ती सरकार को सलाह दी है कि सच्चर समिति की सिफारिशों के अनुसार भारत में अल्पसंख्यकों के हालात को ध्यान में रखते हुए अल्पसंख्यकों का ध्यान रखा जाए।

और पढ़ें: ग्रेटर नोएडा में नाइजीरियाई छात्रों पर हमला, सुषमा स्वराज ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

बेंच ने कहा, 'यह मुद्दा काफी अहम है। इसका हल निकालने के लिए आपको सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। सरकार ही तय करेगी कि अल्पसंख्यकों की किसी तरह की सुरक्षा या मदद की जरूरत है कि नहीं।'