भ्रष्टाचार, आतंकवाद के मामलों में लगातार सजा के लिये याचिका पर सुनवाई को सहमत SC

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूति्र बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की तीन सदस्यीय पीठ ने बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की इस दलील को स्वीकार किया कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है क्योंकि शीर्ष अदालत ने इस साल मार्च में है

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूति्र बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की तीन सदस्यीय पीठ ने बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की इस दलील को स्वीकार किया कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है क्योंकि शीर्ष अदालत ने इस साल मार्च में है

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Aditi Sharma
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भ्रष्टाचार, आतंकवाद के मामलों में लगातार सजा के लिये याचिका पर सुनवाई को सहमत SC

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये सहमत हो गया जिसमें भ्रष्टाचार और आतंकवाद के विशेष कानूनों के तहत दोषी व्यक्ति को सुनाई गई कारावास की भिन्न सजाओं के लिये एक साथ कैद की बजाये एक के बाद एक सजा भुगतने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. अमेरिका जैसे देशों में किसी भी अपराधी को अलग-अलग मामलों में मिली सजायें एक चलने की बजाये एक के बाद एक भुगतनी होती है.

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प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूति्र बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की तीन सदस्यीय पीठ ने बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की इस दलील को स्वीकार किया कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है क्योंकि शीर्ष अदालत ने इस साल मार्च में ही केंद्र को इस मामले में नोटिस जारी किया था.

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उपाध्याय ने कहा कि याचिका पर र्केन्द्र का जवाब आ गया है और अब यह मामला सुनवाई के लिये पूरी तरह तैयार है, अत: इसे शीघ्र सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, 'मामले को चार हफ्ते बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.' याचिका में कहा गया है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के एक प्रावधान के तहत दोषी व्यक्ति अलग-अलग अपराधों के लिए मिली सजा को एक साथ काट सकता है लेकिन यह प्रावधान नृशंस अपराधों के लिए लागू नहीं होना चाहिए.

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याचिका में कहा गया है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 31 गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए), भ्रष्टाचार रोकथाम कानून (पीसीए), बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध कानून, धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए), विदेशी योगदान (विनिमय) कानून (एफसीआरए), काला धन एवं कर चोरी कानून और भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून जैसे विशेष अधिनियमों पर लागू नहीं होनी चाहिए. 

Source : Bhasha

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