उच्चतम न्यायालय इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है कि क्या पत्नी की जानकारी के बिना फोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना उसकी निजता का उल्लंघन है।
उच्चतम न्यायालय पिछले साल दिसंबर में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाले एक व्यक्ति की अपील पर 12 जनवरी को सुनवाई कर रहा था। इस मामले में संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश विनीत सरन और न्यायाधीश बीवी नागरत्ना की पीठ ने संबद्व पक्षों को नोटिस जारी किया।
उच्च न्यायालय का वह आदेश एक महिला द्वारा दायर याचिका पर आया था, जिसने 2020 में पारित बठिंडा परिवार अदालत के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसके पति को उनके बीच रिकॉर्ड की गई बातचीत को सीडी के तौर पर साबित करने की इजाजत दी गई थी, जो इसकी शुद्धता के अधीन थी।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि पत्नी की टेलीफोन पर बातचीत को उसकी जानकारी के बिना रिकॉर्ड करना उसकी निजता का स्पष्ट उल्लंघन है।
पति ने वर्ष 2017 में, तलाक की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी और 2019 में, मामले की सुनवाई के दौरान, उसने मोबाइल फोन के मेमोरी कार्ड या चिप में रिकॉर्ड की गई बातचीत को सीडी के रूप में लाने की अनुमति मांगी गई थी।
फैमिली कोर्ट ने 2020 में पति को सीडी को सही होने की शर्त के अधीन साबित करने की इजाजत दे दी। फैमिली कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए पत्नी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह स्पष्ट है कि इस बातचीत को अनिवार्य रूप से किसी एक पक्ष द्वारा गुप्त रूप से रिकॉर्ड किया गया होगा।
दंपति की शादी 2009 में हुई थी और उनकी एक बेटी भी थी।
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Source : IANS