गोवा में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पर आदतन झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा है कि महादेई जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2010 में अपने कार्यकाल के दौरान किया था न कि सावंत के पिछले कार्यकाल में।
कांग्रेस महासचिव श्रीनिवास खलप ने कहा, आदतन झूठे प्रमोद सावंत अब दावा करते हैं कि गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान महादेई जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया था। वास्तविकता यह है कि इसे नवंबर 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के तहत तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था।
वह रविवार को मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत द्वारा कथित तौर पर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि महादेई जल विवाद न्यायाधिकरण के गठन सहित सभी प्रमुख नीतिगत फैसले उनके कार्यकाल के दौरान लिए गए थे।
खलप ने कहा, गोवा में 2012 में और केंद्र में 2014 में सत्ता में आने के बाद ही हमारी जीवन रेखा महादेई की हत्या हुई है। उन्होंने पूछा कि कलसा-भंडूरी की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को दी गई स्वीकृति का श्रेय वह क्यों नहीं ले पाए।
उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी हमेशा महादेई के लिए लड़ाई लड़ी है। हमारी जीवन रेखा मां महादेई को बचाने के लिए हमने केंद्र, कर्नाटक और गोवा में भाजपा सरकारों के फैसलों के खिलाफ गोवा के सभी तालुकों के साथ-साथ नई दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना दिया। हमने राजभवन, आईएफएफआई उद्घाटन समारोह और विभिन्न स्थानों पर विरोध किया।
खलप ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गोवा के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और हमारे अनुरोध को सुना और महादेई जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया। दुर्भाग्य से, वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले नौ वर्षो में महादेई मुद्दे पर गोवा के प्रतिनिधिमंडल से मिलने का समय नहीं मिला।
गोवा और कर्नाटक इस समय एक केंद्रीय न्यायाधिकरण में महादेई नदी के पानी पर कलसा-भंडूरी बांध परियोजना के विवाद से जूझ रहे हैं।
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Source : IANS