logo-image

सौरभ कृपाल होंगे देश के पहले समलैंगिक जज, SC कॉलेजियम ने लिया फैसला

सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने पहली बार किसी समलैंगिक को जज बनाने का फैसला लिया है, ये फैसला न्‍यायपालिका के इतिहास में मिसाल है.

Updated on: 16 Nov 2021, 09:37 AM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने पहली बार किसी समलैंगिक को जज बनाने का फैसला लिया है
  • सौरभ कृपाल के नाम पर सबसे पहले कोलेजियम ने 2017 में सिफारिश की थी.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कोलेजियम ने वरिष्‍ठ वकील सौरभ कृपाल को दिल्‍ली हाईकोर्ट (Delhi high court) का जज बनाने का निर्णय लिया है. खास बात है कि वह भारत के पहले समलैंगिक जज होंगे. ये फैसला न्‍यायपालिका के इतिहास में मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने पहली बार किसी समलैंगिक को जज बनाने का फैसला लिया है. अगर उनकी नियुक्ति होती है तो वह भारत के पहले समलैंगिक जज होंगे.  इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से बयान जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि 11 नवंबर को कोलेजियम की बैठक हुई थी.

इसमें उनके नाम की सिफारिश की गई. इससे पहले इस साल मार्च में भारत के पूर्व मुख्‍य न्‍यायधीश एसए बोबडे ने केंद्र सरकार से सौरभ कृपाल को जज बनाए जाने को लेकर सरकार से इस बारे में अपनी राय स्‍पष्‍ट करने को कहा. 

इससे पहले चार बार ऐसा हो चुका है कि उनके नाम पर जज बनाए जाने को लेकर राय अलग रही है. सौरभ कृपाल के नाम पर सबसे पहले कोलेजियम ने 2017 में दिल्‍ली हाईकोर्ट का जज बनाए जाने को लेकर सिफारिश की थी.

ऑक्‍सफोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई

सौरभ कृपाल ने दिल्‍ली के सेंट स्‍टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. वहीं उन्‍होंने ग्रेजुएशन में लॉ की पढ़ाई ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी से की है. उन्होंने पोस्‍टग्रेजुएट (लॉ) कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से करा. सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने बीते दो दशकों तक प्रैक्टिस की है. वहीं यूनाइटेड नेशंस के साथ जेनेवा  में काम किया है. सौरभ का नाम सबसे अधिक 'नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ' के मामले को लेकर जाना जाता है, दरसअल वह धारा 377 हटाये जाने के मामले में याचिकाकर्ता के वकील थे. सितंबर 2018 में धारा 377 को लेकर जो कानून था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया था.