तमिलनाडु में जारी सत्ता संघर्ष के लिए घमासान के बीच गवर्नर सी. विद्यासागर राव ने साफ कर दिया है कि राजभवन की ओर से कोई भी रिपोर्ट गृह मंत्रालय या राष्ट्रपति के पास नहीं भेजी गई है। राजभवन की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा जा रहा था कि राज्यपाल ने अपनी कोई रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी गई है जबकि ऐसा कुछ नहीं है।
बता दें कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से शुक्रवार शाम यह कहा गया कि राज्यपाल शशिकला को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं करेंगे। इसके बाद सियासी चर्चा तेज हो गई।
इससे पहले तमिलनाडु में सत्तारूढ़ ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) में जारी आंतरिक कलह के बीच पार्टी महासचिव वी के शशिकला ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम को समर्थन देने पर प्रेजीडियम चेयरमैन ई. मधुसूदन को पार्टी से निकाल दिया।
शशिकला ने एक बयान में कहा कि मधुसूदनन ने पार्टी के सिद्धांतों का उल्लंघन और इसे अपमानित किया है, इसलिए पार्टी पद और एआईएडीएमके की प्राथमिक सदस्यता से उन्हें बर्खास्त किया जाता है। उन्होंने पार्टी सदस्यों से मधुसूदनन से किसी तरह का संबंध नहीं रखने को कहा है।
मधुसूदनन की बर्खास्तगी उनके पन्नीरसेल्वम के साथ जुड़ने के एक दिन बाद की गई है। पन्नीरसेल्वम ने शशिकला के खिलाफ बगावत करते हुए मंगलवार रात कहा था कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया।
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मधुसूदनन ने इससे पहले शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा था, 'पार्टी के नियमों के अनुसार, कोई व्यक्ति तभी इसका महासचिव बन सकता/सकती है, जब वह लगातार पांच साल तक इसका सदस्य रहा/रही हो।'
उन्होंने दावा किया कि शशिकला लगातार पांच सालों तक पार्टी की सदस्य नहीं रहीं और इसलिए वह महासचिव बनने के योग्य नहीं हैं। पूर्व मंत्री मधुसूदनन लंबे समय से एआईएडीएमके के सदस्य रहे हैं।
इससे पहले मधुसूदन ने कहा था कि शशिकला अन्नाद्रमुक की महासचिव नहीं बन सकतीं। मधुसूदन पन्नीरसेल्वम गुट के नेता माने जाते हैं। उन्होंने इस संबंध में चुनाव आयोग में भी दरख्वास्त दी है कि वह शशिकला को पार्टी महासचिव के रूप में मान्यता न दे।
मधुसूदनन ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'पार्टी के कानून के अनुसार, कोई व्यक्ति तभी इसका महासचिव बन सकता/सकती है, जब वह लगातार पांच साल तक इसका सदस्य रहा/रही हो।'
उन्होंने दावा किया कि शशिकला लगातार पांच सालों तक पार्टी की सदस्य नहीं रहीं और इसलिए वह महासचिव बनने के योग्य नहीं हैं। दिसम्बर में तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता के निधन के बाद शशिकला को एआईएडीएमके की महासचिव चुना गया था।
मधुसूदनन के अनुसार, पहले ऐसा लगा था कि शशिकला अकेले पार्टी में होंगी, लेकिन उनके परिवार के सदस्यों ने इसे अपने नियंत्रण में लेना शुरू कर दिया। ऐसा नहीं होने दिया जा सकता।
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HIGHLIGHTS
- AIADMK में मचे घमासान के बाद भारी पन्नीरसेल्वम पर भारी पड़ने लगीं शशिकला
- पन्नीरसेल्वम के करीबी और AIADMK के प्रेजिडियम चेयरमैन मधुसूदन को पार्टी से बाहर निकाला
Source : News State Buraeu