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2018 में वित्तीय वर्ष में नहीं होगा बदलाव, जनवरी से दिसंबर तक करने की थी चर्चा: गंगवार

गंगवार ने कहा, 'ये सब अभी सरकार के बीच चर्चा के मुद्दे हैं। फिलहाल के लिए मार्च को ही इस वित्त वर्ष का समापन मानिए'

Updated on: 30 Jul 2017, 08:20 PM

highlights

  • अगले साल से लागू नहीं होगा जनवरी-दिसंबर वित्तीय वर्ष: गंगवार
  • वित्तीय वर्ष को मार्च-अप्रैल से बदलकर जनवरी-दिसंबर करने पर सरकार कर रही है विचार

नई दिल्ली:

वित्त राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा है कि सरकार के अंदर वित्तीय वर्ष को अप्रैल-मार्च की जगह जनवरी-दिसंबर करने की चर्चा चल रही है लेकिन यह बदलाव अगले साल से लागू नहीं होगा।

गंगवार ने कहा कि अगला वित्त वर्ष जनवरी 2018 से शुरू करने के लिए सरकार को वर्तमान आम बजट नवंबर के आसपास पेश करना होगा, जो फिलहाल संभव दिखाई नहीं दे रहा क्योंकि यह प्रक्रिया समय लेने वाली है और इसे काफी पहले से शुरू करना होगा।

उन्होंने कहा, 'ये सब अभी सरकार के बीच चर्चा के मुद्दे हैं। फिलहाल के लिए मार्च को ही इस वित्त वर्ष का समापन मानिए।'

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद के वर्तमान सत्र में कहा था कि सरकार वित्त वर्ष जनवरी से दिसंबर तक का करने पर विचार कर रही है। इसके बाद से चर्चा का बाजार गर्म है कि यह बदलाव 2018 से होगा।

हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है और सरकार अपने रुख पर कायम है कि इस पर 'चर्चा जारी है।'

विशेषज्ञों का अनुमान था कि एक जुलाई से वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद एक और इतना बड़ा बदलाव जल्द संभव नहीं होगा क्योंकि इस बदलाव के साथ संचालन संबंधी कई मसले जुड़े हैं, जिनमें इस साल को तीन तिमाहियों में सीमित करना, सरकार के खातों में बदलाव, आयकरदाताओं के लिए नया निर्धारण वर्ष और आम बजट पेश करना शामिल है।

नरेंद्र मोदी सरकार एक अप्रैल से वित्त वर्ष शुरू करने से पूर्व सभी विधायी प्रक्रियाएं पूरी करने और वार्षिक खर्च के लिए मंजूरी हासिल करने के मकसद से 2017 से आम बजट को पहले ही एक महीने पहले यानी फरवरी में पेश कर चुकी है।

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अभी तक जनवरी-दिसंबर के वित्त वर्ष को अपनाने वाला मध्य प्रदेश एकमात्र राज्य है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो मई को घोषणा की थी कि राज्य 2018 से नया वित्त वर्ष अपनाएगा और 2017 के अंत तक अपने सभी बजट संबंधी कार्यो को पूरा कर लेगा।

गंगवार ने कहा, 'हमने फैसला किया है कि जो भी बदलाव जरूरी हैं, वे पांच अगस्त को लाए जाएंगे। लोगों द्वारा जिन समस्याओं का सामना किया जा रहा है..परिषद उन पर चर्चा करेगी और साथ ही विचार करेगी कि क्या किसी बदलाव की जरूरत है।'

उन्होंने कहा, 'जब से जीएसटी लागू किया गया है, सभी राज्यों से लोग कर दरों पर सुझाव पेश कर रहे हैं। हम उन पर विचार करेंगे।' मंत्री ने हालांकि कहा कि जीएसटी लागू करने में ज्यादा समस्या सामने नहीं आई और सरकार अधिक चुनौतियों के लिए तैयार थी।

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