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संजय धोत्रे G20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे

संजय धोत्रे G20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे

Updated on: 21 Jun 2021, 12:21 AM

highlights

  • 22 जून, 2021 को होने वाली जी20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक
  • राज्यमंत्री संजय धोत्रे बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे
  • भारत इसमें वर्चुअल माध्यम से भागीदारी करेगा

नई दिल्ली:

शिक्षा और इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी राज्य मंत्री संजय धोत्रे (MoS for Education Sanjay Dhotre ) जी20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक ( G20 Education Ministers meet ) में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. जी20 शिक्षा मंत्रियों की यह बैठक 22 जून, 2021 को होगी, जिसकी अध्यक्षता इटली करेगा. इसी दिन संजय (Sanjay Dhotre) जी20 शिक्षा और श्रम व रोजगार मंत्रियों की संयुक्त बैठक में भी शामिल होंगे. आपको बता दें कि इस बार ये दोनों ही महत्वपूर्ण बैठकें मिलेजुले रूप में होने जा रही हैं. भारत इसमें वर्चुअल तौर पर शामिल होगा.

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भारत वर्चुअल माध्यम से भागीदारी करेगा

 शिक्षा और इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी राज्यमंत्री संजय धोत्रे 22 जून, 2021 को होने वाली जी20 शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. वह इसी दिन जी20 शिक्षा और श्रम व रोजगार मंत्रियों की संयुक्त बैठक में भी शामिल होंगे. ये दोनों बैठकें इटली की अध्यक्षता में मिलेजुले रूप में होने जा रही हैं. भारत इसमें वर्चुअल माध्यम से भागीदारी करेगा. इससे पहले भी बीते वर्ष जी20 देशों के शिक्षा मंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भारत भी शरीक हुआ था. तब हुई उस बैठक में भारत ने कोविड संकट के दौरान शिक्षा क्षेत्र में किये गए काम के बारे में विस्तार से विश्व के अन्य देशों को बताया.

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1000 से भी अधिक विश्वविद्यालय और 33 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राएं 

जी20 देशों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए भारत ने कहा था कि भारत का शिक्षा तंत्र दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षा तंत्र हैं. इसमें 1000 से भी अधिक विश्वविद्यालय और 33 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राएं हैं। इसलिए कोविड संकट को देखते हुए भारत ने समय पर ही ऐहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए थे. इसी को देखते हुए भारत ने बहुत पहले ही शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया था। परीक्षाएं भी स्थगित कर दी थीं. वेबिनार, ऑनलाइन मीटिंग इत्यादि के माध्यम से सभी प्रदेशों के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, शिक्षण संस्थानों, छात्रों, शिक्षकों एवं अभिभावकों लगातार संवाद किया गया. उनकी समस्याओं को समझ कर उसका उचित समाधान दिया, इसकी वजह सभी व्याप्त अनिश्चितताओं को विराम दिया जा सका.