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समीर वानखेड़े : जो बन गए एनसीबी का बिजूका

समीर वानखेड़े : जो बन गए एनसीबी का बिजूका

Updated on: 31 Oct 2021, 09:20 PM

मुंबई:

लाइट्स, कैमरा.. रेड..! जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े ने कॉर्डेलिया क्रूज लक्जरी जहाज पर एक रेव पार्टी के दौरान छापेमारी की योजना बनाई, तो एक बात की गारंटी थी - व्यापक प्रचार, भले ही वास्तविक ड्रग की वसूली शायद कुछ तोला ही हो।

2 अक्टूबर को जहाज पर मौजूद लोगों में बॉलीवुड मेगास्टार शाहरुख खान और निर्माता गौरी के बेटे आर्यन खान के अलावा ग्लैमर और मनोरंजन जगत के कुछ अन्य लोग भी शामिल थे।

एनसीबी के हाई-प्रोफाइल ऑपरेशन के लिए वास्तव में यह एक खास माहौल था। भारत में पहली बार एक लक्जरी क्रूजर पर बड़ी संख्या में बड़े नाम वाले जुटे थे, लेकिन वहां ड्रग्स मुश्किल से किसी सार्थक मात्रा में मिली।

एक राष्ट्रीय स्तर पर हंगामे और अंतर्राष्ट्रीय ध्यान के बीच, वानखेड़े ने कुल 20 कथित नशेड़ियों को उनके कॉलर से पकड़ने और उन्हें लॉकअप में डंप करने के लिए चारों ओर जूम किया, सभी परिलक्षित महिमा का आनंद लेते हुए।

वानखेड़े (42) (आईआरएस 2008) को दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच के लिए आईपीएस-प्रभुत्व वाले एनसीबी में प्रतिनियुक्त किए जाने के एक साल से भी अधिक समय में उन्होंने बॉलीवुड और मुंबई से ड्रग गढ़ को उखाड़ने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर आक्रमण किया।

अर्जुन रामपाल, रिया चक्रवर्ती, दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर, रकुल प्रीत सिंह, सारा अली खान, कॉमेडी जोड़ी भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया, अरमान कोहली और नए मामले में आर्यन खान जैसे कई जाने-माने नाम उनके जाल में फंस गए थे और एक समय तो वह करण जौहर के गिरेबान के करीब भी चले गए।

इससे पहले, मुंबई हवाईअड्डे पर सीमा शुल्क अधिकारी के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान वानखेड़े ने अपने पसंदीदा ग्लैमर गेम में काम किया - शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, कैटरीना कैफ, रणबीर कपूर, बिपाशा बसु, मीका सिंह, मिनिषा लांबा, विवेक ओबेरॉय, राम गोपाल वर्मा जैसे लोगों को घेरना/रोकना वगैरह, और एक बार तो 2011 विश्व कप क्रिकेट ट्रॉफी जो सोने-चांदी से बनी थी, जिसे उन्होंने रोक लिया था और बीसीसीआई द्वारा सीमा शुल्क से बाहर किए करने के बाद ही उसे मुक्त किया गया था!

उन दिनों एनसीबी का नाम शायद ही कभी सार्वजनिक रूप से सुना जाता था - जैसे 2001 में अभिनेता फरदीन खान की गिरफ्तारी। मगर अब तो इसकी कार्रवाइयों का सिलसिला सास-बहू धारावाहिक की तरह लंबा खिंचता जा रहा है।

अगर वानखेड़े पीठ थपथपाए जाने या पदोन्नति की उम्मीद कर रहे थे, तो उन्हें थोड़ी निराशा होनी लाजिमी है। इस बार अचानक नशीली दवाओं के खिलाफ कार्रवाई ऐसी और इरादे ऐसे कि एनसीबी की प्रतिष्ठा खराब हो गई - और शिकारी शिकार बन गया।

एनसीबी की विश्वसनीयता को खोखला साबित करने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्री नवाब मलिक ने अकेले दम पर सुपर स्लीथ की ऐसी जासूसी की कि बॉलीवुड के लिए एक खूंखार नाम अचानक गहन जांच के दायरे में आ गया।

मलिक ने वानखेड़े के कार्यो को फर्जी (धोखाधड़ी) हमलों के रूप में साबित करने के लिए एक धारावाहिक पदार्फाश की मुहिम चलाई। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े स्वतंत्र गवाहों और उनके बेहूदा दोस्तों, एक वांछित अपराधी का पता लगाने की बात के साथ कथित फर्जी जाति प्रमाणपत्र, धार्मिक साख वगैरह की बातों ने इस अधिकारी को झकझोर दिया।

आर्यन खान ने अगर 29 रातें जेल में गुजारीं तो इधर वानखेड़े की भी रातों की नींद हराम रही। उनके खिलाफ एक एनसीबी जांच से दूसरी एनसीबी जांच चलती रही। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, डीजीपी संजय पांडे, मुंबई सीओपी हेमंत नागराले, एनसीएससी, विशेष एनडीपीएस कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के दरवाजे खटखटाए।

शिवसेना के किशोर तिवारी जैसे कुछ राजनेताओं ने उन पर अपनी पत्नी क्रांति रेडकर-वानखेड़े - एक मराठी अभिनेत्री - की मदद करने के लिए फिल्मी हस्तियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है।

अन्य संदिग्ध पहले हैं - सार्वजनिक चकाचौंध में गवाहों को काफी महत्वपूर्ण दिखाया जाना, जो वैश्विक प्रभाव के साथ एनसीबी के आमतौर पर गुप्त और संवेदनशील संचालन को गंभीर रूप से बाधित कर सकते हैं। वानखेड़े के नाम के साथ जबरन वसूली की बोलियों की बात का जुड़ना, अभूतपूर्व गवाह का आरोप और जांच में घिरे वह अब विभिन्न हलकों से सामना कर रहे हैं।

जैसा कि सामान्य ज्ञान है, असली ड्रग बंकर बॉलीवुड में नहीं हैं, बल्कि मुंबई के बाहरी इलाके में हैं और एनसीबी के अति उत्साही जेम्स बॉन्ड ग्लैमर-इंडस्ट्री में बू-इंग सॉफ्ट टारगेट के बजाय कठिन चुनौती ले सकते हैं।

इस बीच, मलिक ने गंभीर चेतावनी देते हुए कहा है कि पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दो! यह पिक्चर शायद वानखेड़े की बर्खास्तगी और जेल जाने के बाद ही खत्म होगी।

भाजपा के कई नेता खुलेआम उनका समर्थन कर रहे हैं, यह तो समय ही बताएगा कि वानखेड़े राजनीतिक कठपुतली हैं या शुद्ध देशभक्त।

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