अखिलेश समर्थकों पर फूटा मुलायम का गुस्सा, उदयवीर सिंह पार्टी से बाहर

अखिलेश और शिवपाल के बीच चल रही खींचतान का असर पार्टी के चुनाव प्रचार पर पड़ता दिख रहा है। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने देरी का हवाला देते हुए पार्टी की स्थापना की रजत जयंती समारोह में आने से मना कर दिया था।

अखिलेश और शिवपाल के बीच चल रही खींचतान का असर पार्टी के चुनाव प्रचार पर पड़ता दिख रहा है। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने देरी का हवाला देते हुए पार्टी की स्थापना की रजत जयंती समारोह में आने से मना कर दिया था।

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Sonam Kanojia
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अखिलेश समर्थकों पर फूटा मुलायम का गुस्सा, उदयवीर सिंह पार्टी से बाहर

फाइल फोटो

समाजवादी पार्टी में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच की लड़ाई थमती नजर नहीं आ रही है। अखिलेश के समर्थन में पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को चिट्ठी लिखने वाले सपा पार्षद उदयवीर सिंह को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।

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उदयवीर सिंह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं। इससे पहले भी शिवपाल यादव अखिलेश यादव के समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई कर चुके हैं। शिवपाल के इस फैसले को लेकर अखिलेश उनसे खासे नाराज़ चल रहे हैं।

सिंह ने मुलायम को चिट्ठी लिखकर अखिलेश की सौतेली मां पर उनके खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया था। शनिवार की बैठक के बाद मुलायम सिंह ने साफ कर दिया है कि पार्टी के खिलाफ बोलने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले अखिलेश, शिवपाल और मुलायम अपने-अपने भरोसेमंद नेताओं के साथ बैठक कर चुके हैं।

शिवपाल ने पार्टी जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई थी और उसमें अखिलेश को भी आने के लिए कहा था, लेकिन वह नहीं आए। इसके बाद अखिलेश ने जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में अपने भरोसेमंद नेताओं के साथ बैठक की थी। बैठक में अखिलेश भावुक भी हो गए थे। इस बैठक में वे नेता भी शामिल थे, जिनके खिलाफ शिवपाल यादव कार्रवाई कर चुके हैं।

अखिलेश और शिवपाल की बैठक के बाद शनिवार को मुलायम सिंह ने अपने घर पर बैठक की, जिसमें बेनी प्रसाद वर्मा, रेवती रमन, रमेश अग्रवाल और किरणमय नंदा मौजूद रहे। बैठक में ही यह तय किया गया कि पार्टी के खिलाफ बोलने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद ही उदयवीर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा गया।

अखिलेश और शिवपाल के बीच चल रही खींचतान का असर पार्टी के चुनाव प्रचार पर पड़ता दिख रहा है। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने देरी का हवाला देते हुए पार्टी की स्थापना की रजत जयंती समारोह में आने से मना कर दिया था। उन्होंने चिट्ठी लिखकर पार्टी को यह बताया कि वह समारोह से पहले रथयात्रा लेकर राज्य के दौरे पर निकल रहे हैं। अखिलेश के इस फैसले के बाद पार्टी के टूटने तक की अटकलें लगाई जाने लगी थी। हालांकि बाद में शिवपाल ने नरमी दिखाते हुए कहा कि चुनाव के बाद अखिलेश ही मुख्यमंत्री होंगे।

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