समाजवादी परिवार में चल रही उठा-पटक अब पार्टी के टूटने की तरफ बढ़ने लगी हैं। समाजवादी पार्टी के युवा संगठनो ने पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के खिलाफ विद्रोह का एेलान कर दिया है। सपा के युवा संगठनों की मांग है कि पार्टी से निकाले गए युवा नेताओं को पार्टी में वापस लिया जाए।
पार्टी मेें जारी घमासान के बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव गुरुवार को दिल्ली पहुंचेगे। ख़बर है कि परिवार में चल रहे तनाव के बीच रास्ता निकालने की कोशिश पर बातचीत होगी। इस दौरान अखिलेश के ज्यादा करीबी माने जाने वाले उनके चाचा रामगोपाल यादव से भी बात की जायेगी। बुधवार को रामगोपाल यादव चुनाव आयोग से मिलने पहुंचे थे।
पार्टी के युवा संगठनों ने यह साफ कर दिया कि वह पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह की तरफ से पांच नवम्बर को बुलाए गए रजत जयंती समारोह में भाग नहीं लेंगे । इसके बाद तेजी से बदलते घटनाक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी देर शाम पार्टी को पत्र लिखकर सम्मेलन में नहीं आ पाने की असमर्थता जता दी।
समाजवादी पार्टी के भीतर चल रही लड़ाई अब अखिलेश बनाम अन्य हो गई है। अखिलेश के पार्टी के सिल्वर जुबली सम्मेलन में आने से मना किए जाने के बाद पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने 24 अक्टूबर को पार्टी की बैठक बुलाई है, जिसमें सभी नेताओं को शामिल रहने का निर्देश दिया गया है।
इस बीच मुलायम सिंह यादव के करीबी समझे जाने वाले पार्षद उदयवीर सिंह ने पत्र लिखकर अखिलेश यादव को पार्टी का नेशनल प्रेसिडेंट बनाए जाने की मांग की है। सिंह ने कहा, 'अखिलेश यादव को पार्टी का नेशनल प्रेसिडेंट नहीं बनाए जाने की हालत में पार्टी टूट सकती है।' सपा के एक अन्य एमएलसी राजेश यादव ने इस बीज पार्टी के रजत जयंती समारोह का बहिष्कार किए जाने का ऐलान किया है।
बेहद अहम माने जाने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले सत्तारूढ़ पार्टी सपा में पड़ी फूट का खमियाजा पार्टी को चुनाव में उठाना पड़ सकता है। अभी तक सामने आए चुनावी सर्वे में सपा को 100-150 सीटों के नुकसान का अनुमान जाहिर किया गया है।
वहीं इन सबके बीच मुलायम सिंह यादव अभी तक यह मानने से इनकार करते रहे हैं कि पार्टी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कुछ दिनों पहले ही मीडिया से की गई बातचीत में उन्होंने अखिलेश को सीएम उम्मीदवार तक मानने से इनकार कर दिया था। हालांकि बाद में शिवपाल यादव ने साफ कर दिया था कि अगले चुनाव में सपा अखिलेश यादव के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी।
शिवपाल यादव के इस बयान को सुलह की कोशिशों के तौर पर देखा गया था लेकिन अब अखिलेश यादव के राजनीतिक कदम को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि वह अपनी आगे की रणनीति तैयार कर चुके हैं। साथ ही वह अब किसी तरह के समझौते की भी संभावनाओं को खत्म कर अकेले आगे बढ़ने का मन बना चुके हैं।
HIGHLIGHTS
- सपा के युवा संगठनों की मांग: निकाले गए युवा नेताओं को पार्टी में वापस लिया जाए
- समाजवादी पार्टी के भीतर चल रही लड़ाई अब अखिलेश बनाम अन्य हुई
Source : News Nation Bureau