स्वच्छ गंगा की मांग को लेकर अनशन पर बैठे स्वामी आत्मबोधानंद ने तोड़ा उपवास
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के निदेशक राजीव रंजन ने आत्मबोधानंद का उपवास तुड़वाया.
नई दिल्ली:
बीते 194 दिनों से स्वच्छ गंगा की मांग को लेकर उपवास पर बैठे स्वामी आत्मबोधानंद ने शनिवार को अपना उपवास समाप्त कर दिया. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के निदेशक राजीव रंजन ने आत्मबोधानंद का उपवास तुड़वाया. उपवास तोड़ने के बाद स्वामी आत्मबोधानंद ने कहा कि एनएमसीजी के निदेशक मुझसे 25 अप्रैल को मिले थे. उसके बाद आज उन्होंने मुझे लिखित में दिया है कि बांध परियोजना, जिसमें प्रस्तावित समस्त बांधों को निरस्त करने और निर्माणाधीन 4 बांधों को निरस्त करने के लिए कदम उठाए जाएंगे.
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बता दें कि स्वामी आत्मबोधानंद 24 अक्टूबर, 2018 से हरिद्वार में अनशन पर थे. इसी बीच बीते 19 अप्रैल को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर संज्ञान लेने के लिए पत्र भी लिखा था. जिसके बाद उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए 25 अप्रैल को उनसे मिलने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक राजीव रंजन मिश्रा और एग्जिक्यूटिव निदेशक जी अशोक कुमार मातृसदन पहुंचे थे. इसके बाद राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की ओर से आश्वासन दिया था कि वे एक सप्ताह के अंदर ही बांध परियोजना, जिसमें प्रस्तावित समस्त बांधों को निरस्त करने और निर्माणाधीन 4 बांधों को निरस्त करने की बात लिखित में देंगे.
इसके बाद आत्मबोधानंद ने जल त्यागने का निर्णय 2 मई तक बढ़ा दिया था. गंगा किनारे अवैध खनन का मामला लंबे समय से चलता आया है. गंगा को बचाने की मुहिम में एक बड़ा हिस्सा इस अवैध खनन को रोकने का है.
कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट हैं स्वामी आत्मबोधानंद
पिछले 194 दिनों से अनशन पर बैठे आत्मबोधानंद 26 साल के हैं. कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट उन्होंने 21 साल की उम्र में सन्यास लेकर मातृसदन से जुड़ गए थे. गंगा की अविरलता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.
गंगा को बचाने के लिए अनशन पर बैठे जीडी अग्रवाल की 112 दिनों के अनशन के बाद 11 अक्टूबर 2018 को मौत हो गई थी. उनके संघर्षों को आगे ले जाने के लिए स्वामी आत्मबोधानंद ने उसके ठीक 13 दिनों बाद अनशन शुरू कर दिया. अपनी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए आत्मबोधानंद बीते 23 जनवरी को प्रयागराज में लगे कुंभ मेले भी गए थे. इसके बाद उनके समर्थन में वाटर मैन राजेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता व आईआईटी बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर संदीप पांडे और मेधा पाटेकर के नेतृत्व में जंतर मंतर पर एक मार्च भी निकाला गया था.
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