दारुल उलूम की वेबसाइट पर NCPCR की नजरें टेढ़ी, डीएम ने लगाई पाबंदी

दारुल उलूम देवबंद की ओर से जारी फतवे को बाल अधिकारों के खिलाफ माना गया, जिसके बाद यह कार्यवाही की जा रही है. इससे पहले मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से सहारनपुर डीएम को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे.

दारुल उलूम देवबंद की ओर से जारी फतवे को बाल अधिकारों के खिलाफ माना गया, जिसके बाद यह कार्यवाही की जा रही है. इससे पहले मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से सहारनपुर डीएम को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Deoband

एनसीपीसीआर ने कुछ फतवों को बच्चों के खिलाफ माना.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

उत्तर प्रदेश के देवबंद में एक फतवे पर विवाद के कारण सहारनपुर प्रशासन की ओर से जारी आदेश के बाद संस्था की वेबसाइट को बंद कराया जा रहा है. दारुल उलूम देवबंद की ओर से जारी फतवे को बाल अधिकारों के खिलाफ माना गया, जिसके बाद यह कार्यवाही की जा रही है. इससे पहले मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से सहारनपुर डीएम को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे. दरअसल दारुल उलूम देवबंद के फतवे और बच्चों के मुद्दे पर भ्रमित करने वाले बयान के मामले में पिछले दिनों काफी विवाद मचा हुआ है. अब वेबसाइट को बंद कराए जाने का मामला सामने आ रहा है.

Advertisment

इसके अलावा बच्चों और उनकी शिक्षा के मामलों पर जारी फतवे को लेकर एनसीपीआर में शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया, 'देश में ऐसे किसी भी संस्थान को चलाने की इजाजत देना सही नहीं जो खुद को कानून से ऊपर मानते हैं और जहां तक बच्चों के अधिकारों की बात है तो कमीशन ऐसा नहीं होने देगा. जब तक इनकी जांच चल रही है, तब तक वेबसाइट बंद होने का आदेश ठीक है, लेकिन जांच जल्द पूरी होने तक सम्बंधित कार्यवाही करना जरूरी होगा और यह पता करना होगा कि इनके फतवों के कारण कितने बच्चों को हानि हुई है.'

उन्होंने आगे बताया, 'हम यह भी पता करेंगे कि कितने बच्चों को इन फतवों के कारण नुकसान पहुंचा है ताकि उनको कानूनी सहायता दी जा सके'. प्रियंक कानूनगो के मुताबिक, दारुल उलूम की ओर से बच्चों को लेकर फतवा जारी किया गया था. इस फतवे में कहा गया था कि गोद लिए गए बच्चे को असल बच्चे का दर्जा नहीं दिया जा सकता है, जबकि गोद लेने को लेकर देश में कानून सभी धर्मों के लिए एक है, वह भेदभाव नहीं करते. जिस बच्चे को गोद लिया जाता है उसका कोई धर्म नहीं होता वह किसी भी परिवार में चला जाता है. एक फतवे में तो बच्चों के पीटने की बात को ठीक ठहराया गया है और कहा गया है कि बच्चों की यूनिफॉर्म शरिया के मुताबिक होनी चाहिए.

HIGHLIGHTS

  • देवबंद से जारी कुछ फतवे बच्चों के खिलाफ
  • एनसीपीसीआर की पहल पर शुरू हुई जांच
  • इशके बाद वेबसाईट पर लगाई गई रोक
NCPCR Fatwa फतवा देवबंद Deoband Website Closed वेबसाइट बंद एनसीपीसीआर
      
Advertisment