सहारा डायरी मामले में आयकर निपटान आयोग ने महज तीन दिनों में सुना दिया फैसला
इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन ने सहारा इंडिया को दी बड़ी राहत, जुर्माने से छुटकारा और टैक्स रकम किश्तों में चुकाने की मोहलत
highlights
- आयकर निपटान आयोग ने सहारा इंडिया पर लगाए मामूली जुर्माने को चुकाने के लिए दी राहत, 12 किस्तों रकम चुकाने के दिए निर्देश।
- मामले की सुनवाई ख़त्म होने के बाद करीब 18 महीने तक फैसला सुनाने वाले आयकर निपटान आयोग ने दिखाई तेज़ी मात्र 3 दिन के अंदर सुना दिया फैसला।
नई दिल्ली:
आय कर निपटान आयोग (ITSC) ने सहारा इंडिया को बड़ी राहत देते हुए विवादित डायरी मामले में कंपनी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई किए जाने से इनकार कर दिया है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक कंपनी को जुर्माने से भी राहत मिल गई है।
नवंबर 2014 में सहारा इंडिया के ठिकानों पर की गई छापेमारी में मिली डायरी को आयोग ने सबूत मानने से मना कर दिया है। इस डायरी में कुछ नेताओं के नाम के साथ उन्हें दिए जाने वाले पैसों के बारे में लिखा हुआ था।
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आयोग ने सहारा इंडिया के मामले को पहले खारिज कर दिया था लेकिन बाद में आयोग 5 सितंबर 2016 को उसकी सुनवाई के लिए तैयार हो गया। तीन महीने के अंदर आयोग ने मामले की सुनवाई कर फैसला सुना दिया। मामले की 7 नवंबर 2016 को हुई अंतिम सुनवाई के बाद महज तीन दिनों के अंदर ही (10 नवंबर को) फैसला सुना दिया गया।
आम तौर पर आयोग किसी मामले में फैसला देने के लिए कम से कम 18 महीने का समय लेता है। फैसले में लिखा गया है कि छापे के दौरान सहारा इंडिया से 137.58 करोड़ रुपये बरामद हुए थे जिस पर अब टैक्स लगाया जाता है। इसके अलावा कंपनी को बड़ी राहत देते हुए जुर्माने की रकम के भुगतान को 12 किस्तों में कर दिया गया।
2013 और 2014 में बिड़ला और सहारा ग्रुप पर इनकम टैक्स का छापा पड़ा था। इन छापों में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए थे। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इन फाइलों की जांच की मांग की थी।
25 अक्टूबर 2016 में प्रशांत भूषण ने अपनी शिकायत सभी जांच एजेंसियों और कालेधन की विशेष जांच टीम को लीड कर रहे दो पूर्व जजों की स्पेशल टीम को भेजी थी।
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि आदित्य बिड़ला और सहारा ग्रुप की डायरी में पीएम नरेंद्र मोदी को गुजरात का सीएम रहने के दौरान पैसे दिए गए। डायरी में दिल्ली की पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शीला दीक्षित का नाम भी शामिल है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी दायर हुआ है, लेकिन अभी तक इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से किसी भी प्रकार की जांच के आदेश नहीं दिए गए हैं।
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