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केंद्र सरकार पर राहुल गांधी का तीखा वार, बोले - गद्दाफी और सद्दाम हुसैन ने भी जीते थे चुनाव

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकतंत्र के बहाने केंद्र पर तीखा हमला बोला है. राहुल गांधी ने कहा कि इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन और लीबिया के मुअम्मर गद्दाफी भी चुनाव जीतते थे.

Updated on: 17 Mar 2021, 12:56 PM

highlights

  • राहुल गांधी ने तानाशाह सद्दाम हुसैन और मुअम्मर गद्दाफी को लेकर साधा निशाना
  • ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशुतोष वार्ष्णेय के साथ बातचीत में दिया बयान
  • केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साधा राहुल गांधी पर निशाना

नई दिल्ली:

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकतंत्र के बहाने केंद्र पर तीखा हमला बोला है. राहुल गांधी ने कहा कि इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन और लीबिया के मुअम्मर गद्दाफी भी चुनाव जीतते थे. राहुल गांधी ने यह बयान अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशुतोष वार्ष्णेय के साथ ऑनलाइन बातचीत दिया. राहुल गांधी ने कहा कि ''सद्दाम हुसैन और गद्दाफी भी चुनाव करवाते थे और उन्हें जीतते थे. ऐसा नहीं था कि लोग वोटिंग नहीं करते थे, लेकिन उस वोट की सुरक्षा के लिए कोई संस्थागत ढांचा नहीं होता था.'' इस बयान के बाद केंद्र सरकार ने भी राहुल गांधी के जवाब दिया है. 

राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव सिर्फ यह नहीं है कि लोग जाएं और वोटिंग मशीन पर बटन दबा दें. चुनाव एक अवधारणा है. चुनाव संस्था हैं, जो सुनिश्चित करते हैं कि देश में ढांचा ठीक से चल रहा है. चुनाव वह है कि न्यायपालिका निष्पक्ष हो और संसद में बहस हो. इसलिए वोटों के लिए ये चीजें जरूरी हैं. 

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राहुल गांधी के इस बयान के बाद प्रकाश जावड़ेकर ने तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की बातों पर टिप्पणी करना बेकार है क्योंकि वे विचार से नहीं करते. पता नहीं वे किस ग्रह पर रहते हैं. देश के लोकतंत्र की तुलना गद्दाफी और सद्दाम हुसैन से करना जनता का अपमान है. गद्दाफी और सद्दाम जैसा इस देश में 1975 से 77 केवल 2 ही साल हुआ.

वहीं केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि मुझे लगता है राहुल गांधी को भी पार्टी इजाजत नहीं दे रही. वे कुछ भी बोलते रहते हैं. उनकी बात पर जवाब देना बंद कर देना चाहिए. 

प्रोफेसर आशुतोष वार्ष्णेय के साथ बातचीत में राहुल ने यह दावा भी किया कि अगर कोई फेसबुक और वॉट्सऐप को नियंत्रित कर सकता है तो फिर लोकतंत्र नष्ट हो सकता है. उनसे अमेरिकी संस्था 'फ्रीडम हॉउस' और स्वीडन की संस्था 'वी डेम इंस्टिट्यूट' की भारत के संदर्भ में की गई हालिया टिप्पणी के बारे में सवाल किया गया था.