पद नहीं तो पार्टी कार्यकर्ताओं को कम से कम सम्मान मिलना चाहिए : पायलट
पद नहीं तो पार्टी कार्यकर्ताओं को कम से कम सम्मान मिलना चाहिए : पायलट
जयपुर:
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के मुद्दों पर लंबी चुप्पी तोड़ते हुए बुधवार को राजस्थान और पंजाब में मौजूदा राजनीतिक संकट जैसे विभिन्न मुद्दों पर बात की और फोन टैपिंग के मुद्दे पर जांच की भी मांग की।पायलट ने संसद में सरकार के इस दावे की भी आलोचना की कि देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पायलट ने कहा, जिन कार्यकर्ताओं ने पार्टी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया, चौबीसों घंटे काम किया और जिन पर लाठीचार्ज भी हुआ, उन्हें अगर कोई पद नहीं है तो कम से कम सम्मान तो मिलना चाहिए। हमारे वर्तमान अध्यक्ष यही कहते हैं और हम भी वही कह रहे हैं। वास्तव में, हर कोई यही कह रहा है।
उन्होंने कहा, आने वाले विधानसभा चुनावों में, हम अधिक वोट हासिल करेंगे। हमने आलाकमान के सामने अपनी राय रखी है। एआईसीसी ने हमारे सुझावों को सुना और एक समिति बनाई गई है। इस समिति ने बैठकें भी बुलाईं। सभी निर्णय जल्द ही लिए जाएंगे।
पंजाब और राजस्थान कांग्रेस इकाइयों में संकट पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि एआईसीसी सरकारों और संगठन के बीच संतुलन लाने के लिए सभी कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा, हम केंद्रीय नेतृत्व के साथ खड़े हैं और आश्वस्त हैं कि एआईसीसी जल्द ही आवश्यक कदम उठाएगी। हमने दिग्गज नेताओं के साथ विस्तृत चर्चा की है, जहां हमने कहा कि हमारी राय ली जानी चाहिए, चाहे जो भी हो।
पायलट विधानसभा चुनावों के दौरान कड़ी मेहनत करने वाले पार्टी कार्यकतार्ओं की वकालत करते रहे हैं, लेकिन राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार पिछले एक साल से किया जा रहा है। उन्होंने पिछले साल एक विद्रोह किया और वादा किया गया था कि उनकी शिकायतों का समाधान किया जाएगा, हालांकि, चीजें कभी भी आगे नहीं बढ़ीं हैं।
पायलट ने कथित फोन टैपिंग मुद्दे पर भी बात की और कहा कि लोग जानना चाहते हैं कि फोन कैसे हैक किए गए और जानकारी कैसे एकत्र की गई। इसको लेकर कांग्रेस देशभर में विरोध प्रदर्शन करेगी। अगर छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
उन्होंने देश में कोविड-19 मौतों पर एक ऑडिट की भी मांग की और सरकार के इस रुख की आलोचना की कि भारत में ऑक्सीजन संकट के कारण कोई मौत नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, अगर कोई संकट नहीं था, तो स्वास्थ्य मंत्री को क्यों हटाया गया? केंद्र सरकार को ऑडिट करने दें।
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