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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं की एंट्री

केरल के सबरीमला मंदिर(sabarimala temple) में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी शुक्रवार को फैसला सुनाएगा.

Updated on: 28 Sep 2018, 01:51 PM

नई दिल्ली:

केरल के सबरीमाला मंदिर(sabarimala temple) में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी शुक्रवार को फैसला सुनाया. सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं की एंट्री पर सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दिखा दी है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.

कोर्ट ने अपने फैसले में 10 से 50 वर्ष के हर आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश को लेकर हरी झंडी दिखा दी है. 5 न्यायाधीशों की खंडपीठ में एकमात्र महिला न्यायाधीश ने इंदु मल्होत्रा ने अलग फैसला दिया.

मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने जस्टिस एमएम खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ते हुए कहा, 'शारीरिक संरचना के आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता.' इसके साथ ही सभी भक्त बराबर हैं  लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता.

एक नजर में-

# चीफ जस्टिस ने कहा कि पूजा का अधिकार सभी श्रद्धालुओं को है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला की पंरपरा को धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं माना जा सकता.

# वहीं जस्टिस नरीमन में ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को भी पूजा का समान अधिकार. ये मौलिक अधिकार है

# भारत में महिलाओं के अधिकार के लिए बड़ा दिन. सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं के लिए सबरीमाला मंदिर के दरवाजे खोले. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबरीमाला की परंपरा असंवैधानिक है.

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म एक है गरिमा और पहचान. अयप्पा कुछ अलग नहीं हैं. जो नियम जैविक और शारीरिक प्रक्रिया पर बने हैं वो संवैधानिक टेस्ट पर पास नहीं हो सकते.

कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर से बैन हटा लिया है.

# सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन हटाया. अब सभी महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी.

 दोतरफा नजरिए से महिलाओं की गरिमा को ठेस

पुरुष की प्रधानता वाले नियम बदले जाने चाहिए, जो नियम पितृसत्तात्मक हैं वो बदले जाने चाहिए

 हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय और ग्लोरीफाइड 

चीफ जस्टिस अपने और जस्टिस खानविलकर के लिए पढ रहे हैं.

बता दें कि केरल के पत्थनमथिट्टा जिले में पश्चिमी घाट की एक पहाड़ी पर सबरीमाला मंदिर है जिसमें 10 से लेकर 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक था. हालांकि यहां छोटी बच्चियां और बुजुर्ग महिलाएं जा सकती हैं. सबरीमाला मंदिर हर साल नवम्बर से जनवरी तक श्रद्धालुओं के लिए खुलता है.  इसी साल 18 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. महिलाओं के समर्थन में कोर्ट ने कहा है कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी मंदिर में प्रवेश और पूजा करने का अधिकार है.

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